अगर आरोपी सहयोग को तैयार, तो हिरासत में लेने की जरूरत नहीं, जानें क्या है मामला

By सौरभ खेकडे | Published: March 6, 2022 08:03 PM2022-03-06T20:03:21+5:302022-03-06T20:04:12+5:30

सर्वोच्च न्यायालय ने अरनेश कुमार प्रकरण में इस प्रकार के दिशानिर्देश जारी किए है. वर्ष 2014 में दिए आदेश के अनुसार पुलिस 7 वर्ष तक की सजा के प्रावधान वाले और असंज्ञेय अपराध में न्याय दंडाधिकारी के वारंट के बगैर मनमाने ढंग से किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकती. 

nagpur accused ready cooperate then no need take him into custody Supreme Court | अगर आरोपी सहयोग को तैयार, तो हिरासत में लेने की जरूरत नहीं, जानें क्या है मामला

मामले में भादवि 498-ए में अधिकतम 3 वर्ष की सजा का प्रावधान है, लिहाजा आरोपियों को अंतरिम राहत देने में हर्ज नहीं है.

Highlightsनागपुर की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी.डी.इंगले ने दहेज प्रताड़ना के 5 आरोपियों को अंतरित अग्रिम जमानत दी है. आरोपियों में पति सोमदत्त तिवारी, ससुर शामसुंदर तिवारी, सास प्रभा तिवारी, ननद निर्मला शुक्ला व उनके पति पीयूष शुक्ला का समावेश है.वकील मंगेश राऊत व नाजिया पठान ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2019 में विवाह होने के बाद पत्नी को अपने पति पर संदेह था.

नागपुरः नागपुर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने दहेज प्रताड़ना के एक मामले में माना है कि इस प्रकार के मामलों में अगर आरोपी ससुराल पक्ष पुलिस को जांच में सहयोग करने को तैयार हो, तो उनकी पुलिस हिरासत की जरूरत नहीं रहती.

 

देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अरनेश कुमार प्रकरण में इस प्रकार के दिशानिर्देश जारी किए है. वर्ष 2014 में दिए आदेश के अनुसार पुलिस 7 वर्ष तक की सजा के प्रावधान वाले और असंज्ञेय अपराध में न्याय दंडाधिकारी के वारंट के बगैर मनमाने ढंग से किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकती. 

इसी निरीक्षण के साथ नागपुर की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी.डी.इंगले ने दहेज प्रताड़ना के 5 आरोपियों को अंतरित अग्रिम जमानत दी है. आरोपियों में पति सोमदत्त तिवारी, ससुर शामसुंदर तिवारी, सास प्रभा तिवारी, ननद निर्मला शुक्ला व उनके पति पीयूष शुक्ला का समावेश है.

उनके वकील मंगेश राऊत व नाजिया पठान ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2019 में विवाह होने के बाद पत्नी को अपने पति पर संदेह था. इसी कारण वह घर छोड़ कर चली गई और फिर पति व ससुराल वालों के खिलाफ एफआईआर करा दी. इस मामले में भादवि 498-ए में अधिकतम 3 वर्ष की सजा का प्रावधान है, लिहाजा आरोपियों को अंतरिम राहत देने में हर्ज नहीं है.

सरकारी वकील ने आरोपियों को अग्रिम जमानत देने का विरोध किया. दलील दी कि उन्हें जमानत मिलने के बाद वे पीड़िता पर दबाव डाल सकते हैं. लेकिन मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने आरोपियों को सशर्त राहत प्रदान की है.

क्या  है दिशानिर्देश?

दिशानिर्देशों के अनुसार किसी भी आरोपी को उसकी गिरफ्तारी का कारण बताना जरूरी. गिरफ्तारी के लिए नीचे दिए गए ठोस कारण होने चाहिए. 

 

1)संबंधित व्यक्ति को नए अपराध करने से रोकने के लिए

2) अपराध की योग्य जांच के लिए

3) संबंधित व्यक्ति को अपराध के सबूत नष्ट करने से रोकने के लिए

4 ) गवाह पर किसी भी प्रकार का दबाव आने से रोकने के लिए

5) गिरफ्तार ना करने पर व्यक्ति के फरार होने की संभावना होने पर.

Web Title: nagpur accused ready cooperate then no need take him into custody Supreme Court

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