लखनऊ बना नकली दवा कारोबारियों का हब, हिमाचल, उत्तराखंड में बनने वाली नकली दवाएं भेजी जा रही हैं अन्य राज्यों को
By राजेंद्र कुमार | Published: May 3, 2023 06:54 PM2023-05-03T18:54:16+5:302023-05-03T19:01:27+5:30
हिमाचल सहित कई अन्य राज्यों में बन रही नकली दवाएं उत्तर प्रदेश के रास्ते मुंबई, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार और आंध्र प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में पहुंच रही हैं।
लखनऊ: बड़े अपराधी और माफिया पर अंकुश लगाने वाली योगी सरकार में नकदी दवा का कारोबार करने वालों कारोबारी बेखौफ हैं। जिसके चलते हिमाचल सहित कई अन्य राज्यों में बन रही नकली दवाएं उत्तर प्रदेश के रास्ते मुंबई, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार और आंध्र प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में पहुंच रही हैं।
नकली दवाओं के इस कारोबार में आगरा, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर सहित अन्य महानगरों की दवा मंडी के कई व्यापारी संलिप्त हैं। अब इस नेटवर्क को तोड़ने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) ने संयुक्त रूप से मुहिम शुरू की है। राज्य के एफएसडीए के उपायुक्त संजीव कुमार चौरसिया का दावा है कि प्रदेश में नकली दवाओं के कारोबार में लिप्त कारोबारियों की जांच की जा रही है और जल्दी ही इस नेटवर्क को पूरी तरह से तोड़ा दिया जाएगा।
बीते कुछ महीनों में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से तैयार होने वाली नकली दवाएं राज्य के कई जिलों में पकड़ी गई हैं। यही नहीं उड़ीसा, पश्चिम बंगाल तथा आंध्र प्रदेश की पुलिस ने भी लखनऊ से हवाला तथा अन्य तरीकों स पहुंची नकली दवाओं की खेप पकड़ी तो इन राज्यों के पुलिस अफसर जांच के लिए लखनऊ आए। इसी के बाद से राज्य में एफएसडीए और एसटीएफ के अधिकारी एक्टिव हुए हैं और तमाम दवा कारोबारियों के यहां छापे मारे गए तो वाराणसी में एसटीएफ ने करीब सात करोड़ की नकली दवा की खेप पकड़ी।
इन दवाओं के साथ पकड़े गए लोगों से पता चला कि लखनऊ और वाराणसी में दवा स्टोर करने के बाद उसे मुंबई, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, आंध्र प्रदेश तथा देश के अन्य राज्यों तक पहुंचाया जा रहा है और यह ये नकली दवाएं उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश से तैयार होकर यूपी के लखनऊ, वाराणसी तथा गोरखपुर तक पहुंच रही है। वहां से फिर इन्हे बिहार, मुंबई, पश्चिम बंगाल व अन्य राज्यों तक भेजा जा रहा है।
जांच में लगे अधिकारियों से पता चला है कि प्रदेश में करीब 70989 थोक एवं 105700 फुटकर दवा कारोबारी हैं। हर दिन 50 करोड़ से ज्यादा का कारोबार होता है। ऐसे में दवा कारोबारियों के बीच नकली दवा का नेटवर्क तैयार हो गया है। यह नेटवर्क नामचीन कंपनियों के ब्रांड नेम से मिलते-जुलते नाम वाली दवाएं तैयार कर उत्तर प्रदेश के रास्ते विभिन्न राज्यों तक पहुंचा रहा है और ब्रांडेड दवा के नाम से मिलती जुलती दवाएं सस्ती दर बेची जा रही हैं, जो ब्रांडेड दवाएं 80 रुपये की मिलती हैं तो उसी की नकली दवाएं 30 से 40 रुपये में उपलब्ध कराई जा रही हैं।
इन नकली दवाओं की बिक्री में दवा कारोबारी तथा मेडिकल और इंजीनियरिंग से लेकर इंटरमीडिएट डिग्रीधारी तक शामिल हैं। सभी को उनके काम के हिसाब से रुपये मिलते हैं। बेची जा रही नकली दवाओं में ज्यादातर कैंसर की दवाएं हैं। इसके अलावा गर्भपात, फेफड़े सहित विभिन्न तरह से संक्रमण, गठिया रोग, रोग प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ी दवाएं हैं।
इन सारी जानकारियों के आधार पर एफएसडीए के अधिकारियों ने 25 से अधिक नकली दवाओं की सैंपल जांच रिपोर्ट के बाद उनकी बिक्री पर बिक्री पर रोक लगा दी है और प्रदेश भर में औषधि निरीक्षकों को इन दवाओं का ब्यौरा भेजकर उनकी बिक्री रोकने का आदेश दिया गया है।
यहीं नहीं तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा भेजी गई इन 25 दवाओं की बिक्री को रोकने के बारे में लिखा गया है। फिलहाल प्रदेश के हर जिले में नकली दवाओं की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए औषधि निरीक्षकों को दवाओं के सैंपल लेकर उनकी जांच कराने को कहा गया है। एसटीएफ भी नकली दवाओं के कारोबारियों को पकड़ने के लिए सक्रिय हुई है।