भीमा कोरेगांव: दिल्ली हाई कोर्ट ने मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा का हाउस अरेस्ट किया खत्म
By भाषा | Published: October 1, 2018 07:58 PM2018-10-01T19:58:38+5:302018-10-01T19:58:38+5:30
उच्च न्यायालय ने नवलखा को राहत देते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले हफ्ते उन्हें आगे के उपायों के लिए चार हफ्तों के अंदर उपयुक्त अदालत का रूख करने की छूट दी थी, जिसका उन्होंने उपयोग किया है।
नई दिल्ली, एक अक्टूबर: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोरेगांव - भीमा मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए पांच कार्यकर्ताओं में शामिल गौतम नवलखा को नजरबंदी से मुक्त करने की सोमवार को इजाजत दे दी। उच्च न्यायालय ने नवलखा को राहत देते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले हफ्ते उन्हें आगे के उपायों के लिए चार हफ्तों के अंदर उपयुक्त अदालत का रूख करने की छूट दी थी, जिसका उन्होंने उपयोग किया है।
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के ट्रांजिट रिमांड आदेश को भी रद्द कर दिया। मामले को शीर्ष न्यायालय में ले जाने से पहले उन्होंने इस आदेश को चुनौती दी थी।उच्च न्यायालय ने कहा कि नवलखा को 24 घंटे से अधिक हिरासत में रखा गया, जिसे वैध नहीं ठहराया जा सकता।
निचली अदालत के आदेश को वैध नहीं ठहराया जा सकता
न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के 28 अगस्त के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसके तहत नवलखा की ट्रांजिट रिमांड दी गई थी। पीठ ने कहा कि ऐसा करते हुए संविधान के मूलभूत प्रावधानों और सीआरपीसी का अनुपालन नहीं किया गया, जो अनिवार्य प्रकृति के हैं। पीठ ने कहा कि निचली अदालत के आदेश को वैध नहीं ठहराया जा सकता।
अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 56 और 57 के मद्देनजर तथा मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के रिमांड आदेश की अनुपस्थिति में याचिकाकर्ता की हिरासत स्पष्ट रूप से 24 घंटे से अधिक हो गई है जिसे वैध नहीं ठहराया जा सकता। इसलिए याचिकाकर्ता की नजरबंदी अब खत्म की जाती है। अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह आदेश महाराष्ट्र सरकार को आगे की कार्यवाही से नहीं रोकेगा।
28 अगस्त को किया गया था गिरफ्तार
उच्च न्यायालय ने नवलखा की गिरफ्तारी और निचली अदालत के ट्रांजिट रिमांड आदेश को चुनौती देते हुए उनकी ओर से दायर याचिका स्वीकार कर ली। गौरतलब है कि नवलखा को दिल्ली में 28 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। अन्य चार कार्यकर्ताओं को देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ्तार किया गया था।
शीर्ष न्यायालय ने 29 सितंबर को पांचों कार्यकर्ताओं को फौरन रिहा करने की एक याचिका खारिज करते हुए कहा था कि महज असहमति वाले विचारों या राजनीतिक विचारधारा में भिन्नता को लेकर गिरफ्तार किए जाने का यह मामला नहीं है। इन कार्यकर्ताओं को कोरेगांव - भीमा हिंसा मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।
इन पांच लोगों की हुई थी गिरफ्तारी
शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि आरोपी और चार हफ्ते तक नजरबंद रहेंगे, जिस दौरान उन्हें उपयुक्त अदालत में कानूनी उपाय का सहारा लेने की आजादी है। उपयुक्त अदालत मामले के गुण दोष पर विचार कर सकती है। महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को हुए एलगार परिषद सम्मेलन के बाद दर्ज की गई एक प्राथमिकी के सिलसिले में 28 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। इस सम्मेलन के बाद राज्य के कोरेगांव - भीमा में हिंसा भड़की थी। इन पांच लोगों में तेलुगू कवि वरवर राव, मानवाधिकार कार्यकर्ता अरूण फरेरा और वेरनन गोंजाल्विस, मजदूर संघ कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता नवलखा शामिल थे।