बॉम्बे लायर्स एसोसिएशन ने हाई कोर्ट से की मांग, कराई जाए जस्टिस लोया की मौत की जाँच
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: January 9, 2018 01:28 PM2018-01-09T13:28:51+5:302018-01-09T13:46:52+5:30
जस्टिस बीएच लोया की साल 2014 में हुई मौत पर मीडिया रिपोर्ट में सवाल उठाया गया।
बंबई लायर्स एसोसिएशन (बीएलए) ने सोमवार को बोम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की। इसके साथ जज बृजगोपाल हरिकृष्ण लोया की 2014 में रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत की जांच के लिए एक आयोग गठित करने की मांग की गई है। बीएलए के वकील अहमद आब्दी ने कहा कि "हमने इसे आज दाखिल किया है और बुधवार को इसे मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश करेंगे ताकि सुनवाई की तारीख तय हो सके। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हम सामान्य प्रक्रिया के तहत इसकी सुनवाई होने का इंतजार करेंगे, जिसमें समय लग सकता है।" बीएलए ने अदालत से आग्रह किया है न्यायाधीश लोया की मौत के इर्द-गिर्द की परिस्थितियों और घटनाक्रमों की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच आयोग गठित किया जाए।
बता दें कि उन दिनों लोया विशेष सीबीआई कोर्ट में सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे। हालाकिं अभी इस याचिका की स्वीकृति होनी अभी बाकी है।
गौरतलब है कि जज की मौत को संदिग्ध बताते हुए कारवां पत्रिका ने 21 नवंबर, 2017 के संस्करण में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी इसके बाद इस अर्जी को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करने की मांग की गई। बीएलए ने महाराष्ट्र सरकार, स्टोरी की तहकीकात करने वाले पत्रकार और पत्रिका को पार्टी बनाया गया। इसके पहले सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.बी. सावंत, बंबई उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी.जी. कोलसे पाटील, न्यायमूर्ति बी.एच. मर्लापल्ले, न्यायमूर्ति ए.पी. शाह और कानून जगत की अन्य हस्तियों ने मामले की एक स्वतंत्र जांच की मांग की थी।
बीएलए की याचिका में कहा गया है, "यदि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और ईमानदारी को बरकरार रखना है तो न्यायाधीश लोया की मौत और इसके इर्द-गिर्द मौजूद परिस्थितियों की गहन जांच की जानी चाहिए।"
उल्लेखनीय है कि न्यायाधीश लोया सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले को देख रहे थे, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह आरोपी थे, जिन्हें बाद में मामले से बरी कर दिया गया, साथ ही अन्य आरोपियों को भी बरी कर दिया गया, जिसमें गुजरात पुलिस के कई शीर्ष पुलिस अधिकारी शामिल थे।