झारखंड: महिला ने धर्म बदल की थी दूसरी शादी, मौत के बाद दोनों पतियों ने शव लेने से किया इनकार
By एस पी सिन्हा | Published: September 16, 2018 06:31 PM2018-09-16T18:31:21+5:302018-09-16T18:31:21+5:30
भगवती देवी ने तीन साल पहले अपना धर्म बदलकर मुस्लिम युवक से शादी कर ली थी। तब वह तीन बच्चों की मां थी, लेकिन प्यार की खातिर भगवती धर्म परिवर्तन कर पहले शबनम बनी और फिर जन्नत अंसारी से निकाह किया।
रांची, 16 सितंबर:झारखंड के गढ़वा जिले के गढ़वा थाना के परिहारा गांव निवासी चंद्रदीप चौधरी की पत्नी भगवती देवी को धर्म बदलकर दूसरे धर्म में शादी करना अब महंगा पड़ रहा है, हालात ये है कि उसके मरने के बाद उसका अंतिम संस्कार करने को कोई तैयार नही है।
दरअसल, भगवती देवी ने तीन साल पहले अपना धर्म बदलकर मुस्लिम युवक से शादी कर ली थी। तब वह तीन बच्चों की मां थी, लेकिन प्यार की खातिर भगवती धर्म परिवर्तन कर पहले शबनम बनी और फिर जन्नत अंसारी से निकाह किया।
तीन अगस्त को अचानक शबनम की तबीयत बिगड़ गई। जन्नत अंसारी ने उसे गढ़वा सदर अस्पताल पहुंचा कर भाग गया। शनिवार की शाम को बीमार शबनम की मौत हो गई। शव सौंपने के लिए जब पति जन्नत अंसारी की तलाश की गई तो पता चला कि वह छत्तीसगढ में है।
वहीं, पूर्व पति चंद्रदीप चौधरी के परिजनों ने भी अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया। अब दो पति होने के बावजूद भगवती उर्फ शबनम का शव गढ़वा सदर अस्पताल में लावारिस पड़ा हुआ है।
गढ़वा थाना की महिला थाना प्रभारी ने भगवती उर्फ शबनम की मौत के बाद उसके पूर्व पति चंद्रदीप चौधरी और दूसरे पति जन्नत अंसारी और उसके परिजनों को थाने में बुलाया। पुलिस को पता चला कि पूर्व पति चंद्रदीप चौधरी राजस्थान में काम करता है।
वहीं, दूसरा पति जन्नत छत्तीसगढ में ट्रक चलाता है। इस स्थिति में पुलिस ने चंद्रदीप के पिता केश्वर चौधरी और जन्नत अंसारी की दादी फातिमा बीबी व चचेरा भाई गुलाम अंसारी को बुला कर शव ले जाने को कहा। लेकिन दोनों पक्ष के लोगों ने शव लेने से इनकार कर दिया।
भगवती उर्फ शबनम तो मर गई, लेकिन उसके तीन बच्चों में से दो बच्चे 11 साल की सुलेखा कुमारी और नौ साल का हरिनंदन अभी भी सदर अस्पताल में अपनी मां के बिस्तर के पास बैठे हुए हैं।
इधर, भगवती के पूर्व पति और दूसरे पति में से किसी के भी परिजन इन बच्चों को अपनाने को तैयार नहीं हैं। ऐसी स्थिती में अस्पताल प्रशासन और थाना दोनों परेशान हैं कि आखिर शव किसको सौंपा जाये।