एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण अभी रहेंगी सलाखों के पीछे, दिल्ली की अदालत ने खारिज की जमानत याचिका
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 29, 2022 02:15 PM2022-08-29T14:15:08+5:302022-08-29T14:19:33+5:30
दिल्ली की स्पेशल कोर्ट ने एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि चूंकि प्रवर्तन निदेशालय अभी भी चित्रा की संदिग्ध भूमिका की जांच कर रहा है, इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा करना मुनासिब नहीं है।
दिल्ली:नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण की जमानत याचिका दिल्ली की एक अदालत ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने सोमवार को दिये आदेश में कहा कि चूंकि प्रवर्तन निदेशालय मामले में अभी भी चित्रा की संदिग्ध भूमिका की जांच कर रहा है, इसलिए इस समय उन्हें जमानत पर रिहा करना मुनासिब नहीं होगा।
प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट में चित्रा रामाकृष्ण की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वह एनएसई के पूर्व सीईओ के द्वारा कर्मचारियों की कथित अवैध फोन टैपिंग, जासूसी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रहा है। वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर अपराध में शामिल हैं। इसलिए कोर्ट उन्हें जमानत न दे।
मामले में ईडी की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक एनके मट्टा ने कोर्ट से कहा कि 2009 से 2017 के बीच में एनएसई के पूर्व सीईओ रवि नारायण, रामकृष्ण, कार्यकारी उपाध्यक्ष रवि वाराणसी और प्रमुख (परिसर) महेश हल्दीपुर और अन्य ने एनएसई और उसके कर्मचारियों को धोखा देने की साजिश रची और उसके लिए आईएसईसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को एनएसई कर्मचारियों के फोन कॉल को अवैध रूप से इंटरसेप्ट करने के लिए लगाया गया था।
इस संबंध में एनएसई के शीर्ष अधिकारियों ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडे की कंपनी आईएसईसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को एनएसई की साइबर खामियों को देखने और उन्हें जानने के लिए एक तय समय के लिए कार्य करने का आदेश दिया और उसके जरिये एनएसई के कर्मचारियों की कॉल को अवैध रूप से इंटरसेप्ट किया गया।
इसके साथ ही ईडी की जांच में यह बात भी सामने आयी कि इसके लिए एनएसई के आरोपी अधिकारियों ने फोन टैपिंग के मशिनों को लगाने के लिए सक्षम प्राधिकारियों से आवश्यक अनुमति भा नहीं ली थी, जो कि कानूनी तौर से अनिवार्य था और न ही उन्होंने इस मामले में एनएसई के कर्मचारियों की कोई सहमति ली थी।
ईडी की ओर से कोर्ट में पेश हुए एनके मट्टा ने कहा, "इन कॉलों के टेप आईएसईसी ने एनएसई के अधिकारियों को मुहैया कराया, जो पूरी तरह से गैर कानूनी थी और इसके लिए आईएसईसी को 4.54 करोड़ रुपये का भुगतान भी गलत तरीके से किया गया और इससे एनएसई को आर्थिक नुकसान भी हुआ। मुंबई की अदालत ने हाल ही में इसी मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडे को जमानत देने से इनकार कर दिया था।"
ईडी की जांच में यह बात सामने आयी है कि 4.54 करोड़ रुपये की राशि जो एनएसई द्वारा आईएसईसी सर्विसेज प्राइवेट को दिया गया, वो पूरी तरह से अपराध की आय है। जिसे एनएसई ने कथित साइबर खामियों के नाम पर अदा किया और इससे एनएसई के साथ ठगी की गई। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)