छावला सामूहिक दुष्कर्म मामलाः सभी आरोपी बरी, पीड़िता के माता-पिता ने कहा- “हम न केवल जंग हार गए हैं, बल्कि हमारी जीने की इच्छा भी खत्म हो गई”

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 8, 2022 10:02 AM2022-11-08T10:02:56+5:302022-11-08T11:58:43+5:30

Chhawla gang rape case 2012: पीड़िता के पिता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने इस फैसले से निराश किया है और 11 साल से अधिक समय तक लड़ाई लड़ने के बाद न्यायपालिका से उनका विश्वास उठ गया है।

Chhawla gang rape case 2012 All accused acquitted Victim's parents said- "We have not only lost the war, but we have lost our will to live" | छावला सामूहिक दुष्कर्म मामलाः सभी आरोपी बरी, पीड़िता के माता-पिता ने कहा- “हम न केवल जंग हार गए हैं, बल्कि हमारी जीने की इच्छा भी खत्म हो गई”

निचली ने मामले को “दुर्लभतम” बताते हुए तीनों आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी।

Highlightsनिचली ने मामले को “दुर्लभतम” बताते हुए तीनों आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी।आरोप भी लगाया कि ‘सिस्टम’ उनकी गरीबी का फायदा उठा रहा है।दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस फैसले को बरकरार रखा।

नई दिल्लीः दिल्ली के छावला इलाके में 2012 में हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सभी तीन आरोपियों के बरी होने के बाद पीड़िता के माता पिता ने कहा कि “हम न केवल जंग हार गए हैं, बल्कि हमारी जीने की इच्छा भी खत्म हो गई है।”

पीड़िता के पिता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने इस फैसले से उन्हें निराश किया है और 11 साल से अधिक समय तक लड़ाई लड़ने के बाद न्यायपालिका से उनका विश्वास उठ गया है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि ‘सिस्टम’ उनकी गरीबी का फायदा उठा रहा है। साल 2014 में, एक निचली ने मामले को “दुर्लभतम” बताते हुए तीनों आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी।

बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस फैसले को बरकरार रखा। तीन लोगों पर फरवरी 2012 में 19 वर्षीय युवती के अपहरण, बलात्कार और बेरहमी से हत्या करने का आरोप है। अपहरण के तीन दिन बाद उसका क्षत-विक्षत शव मिला था। पीड़िता की मां ने उच्चतम न्यायालय परिसर के बाहर फूट-फूटकर रोते हुए कहा, “11 साल बाद भी यह फैसला आया है। हम हार गए...हम जंग हार गए ...मैं उम्मीद के साथ जी रही थी...मेरे जीने की इच्छा खत्म हो गई है। मुझे लगता था कि मेरी बेटी को इंसाफ मिलेगा।”

पीड़िता के पिता ने कहा, “अपराधियों के साथ जो होना था, वह हमारे साथ हुआ।” उन्होंने कहा, “11 साल से हम दर-दर भटक रहे हैं। निचली अदालत ने भी अपना फैसला सुनाया। हमें राहत मिली। उच्च न्यायालय से भी हमें आश्वासन मिला। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने हमें निराश किया।

अपराधियों के साथ जो होना था, वह हमारे साथ हुआ।” इस बीच, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने उच्चतम न्यायालय के फैसले की आलोचना की। न्यायालय परिसर के बाहर पीड़िता के माता-पिता के साथ मौजूद कार्यकर्ता योगिता भयाना ने कहा, “मैं पूरी तरह से स्तब्ध हूं। सुबह, हमें पूरी उम्मीद थी कि शीर्ष अदालत मौत की सजा को बरकरार रखेगी और हमें यह भी लगता था कि वे मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल सकते हैं।”

सामाजिक कार्यकर्ता विनोद बछेती पिछले 10 वर्ष से न्याय की लड़ाई में परिवार का समर्थन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वे भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को एक बैठक करेंगे। उन्होंने कहा, “हम पिछले 10 साल से परिवार का समर्थन कर रहे हैं। घटना 9 फरवरी, 2012 को हुई और 10 महीने बाद निर्भया सामूहिक बलात्कार हुआ। (छावला) पीड़िता अपने परिवार का खर्च भी उठा रही थी।”

Web Title: Chhawla gang rape case 2012 All accused acquitted Victim's parents said- "We have not only lost the war, but we have lost our will to live"

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