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सीबीआई ने प्रख्यात पत्रकार सुमन चट्टोपाध्याय को चिटफंड मामले में किया गिरफ्तार

By भाषा | Updated: December 20, 2018 22:39 IST

’ई समय’ के संपादक चट्टोपाध्याय को इस मामले में जांच के सिलसिले में ब्यूरो के कोलकाता स्थित कार्यालय में बुलाया गया था जहां उन्हें कई दौर की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया।

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नई दिल्ली, 20 दिसम्बरः बीते चार सालों से प्रवर्तन एजेंसियों की पूछताछ के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बांग्ला भाषा के एक प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र के संपादक सुमन चट्टोपाध्याय को पश्चिम बंगाल के आईकोर चिट फंड घोटाले के संबंध में बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 

उन्होंने बताया कि ’ई समय’ के संपादक चट्टोपाध्याय को इस मामले में जांच के सिलसिले में ब्यूरो के कोलकाता स्थित कार्यालय में बुलाया गया था जहां उन्हें कई दौर की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। दिशा प्रोडक्शन एडं मीडिया प्राइवेट लिमिटेड(डीपीएमपीएल) में निदेशक के पद पर भी कार्यरत चट्टोपाध्याय से एक पोंजी स्कीम कंपनी आईकोर समूह के खिलाफ पंजीकृत मामले में चल रही जांच के लिए पूछताछ की गई थी। 

जांच में पता चला कि आईकोर ने अवैध तरीके से पैसा इकट्ठा करके उसे डीपीएमपीएल और चट्टोपाध्याय के निजी खाते में जमा कराया। उन्हें भुवनेश्वर की सीबीआई की विशेष अदालत में शुक्रवार को पेश किया जायेगा। 

आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर सारदा समूह सहित तीन ‘‘चिट फंड कंपनियों’’ से ‘‘असुरक्षित कर्ज’’ लिया और अपनी दो प्रकाशन कंपनियों, एक बांग्ला दैनिक और एक बांग्ला पत्रिका के माध्यम से धनशोधन किया। 

साल 2015 में रोजवैली के प्रमुख गौतम कुंडु की गिरफ्तारी के बाद पश्चिम बंगाल पुलिस ने आईकोर समूह के प्रबंध निदेशक अनुकूल मैती को कथित तौर पर पोंजी स्कीम चलाने के मामले में गिरफ्तार किया था। 

चट्टोपाध्याय और उनकी पत्नी कस्तूरी से सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने सारदा वित्तीय घोटाले को लेकर पूछताछ की थी। उन पर आरोप है कि उन्होंने सारदा समूह से पांच करोड़ रूपये का कर्ज लिया था और इसे लौटाने के लिए दो अन्य चिट फंड समूहों से पैसा लिया।

उन्हें कथित तौर पर धन शोधन और फर्जी कंपनियां बना कर पैसे को घुमाने और विदेशों से अवैध धन के कई प्रकार के अंतरण करने के मामले में गिरफ्तार किया गया है। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि आईकोर समूह ने निवेश पर उच्च ब्याज देने की बात कह कर लोगों से कथित तौर पर 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा एकत्र किया और इसका एक हिस्सा पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार चट्टोपाध्याय की कंपनी में भेज दिया गया। 

एजेंसी ने आई-कोर समूह के मामले में साल 2014 में जांच शुरू की थी। इसमें आपराधिक षडयंत्र और धोखाधड़ी से संबंधित भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उच्चतम न्यायालय के 2014 में दिये आदेश के बाद यह मामला दर्ज हुआ था। तब शीर्ष अदालत ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि वह चिटफंड कंपनियों की जांच से जुड़े सभी मामलों को राज्य पुलिस से लेकर खुद जांच करे। इसके निदेशक अनुकूल मैती और उनकी पत्नी कणिका को पिछले साल ही एजेंसी ने गिरफ्तार कर लिया था। 

टॅग्स :पश्चिम बंगालसीबीआई
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