बुलंदशहर: FIR से खुली पुलिस की कलई, 7 में 6 नाम बोगस, 11 साल के बच्चे को बनाया आरोपी
By भाषा | Published: December 5, 2018 04:17 PM2018-12-05T16:17:11+5:302018-12-05T16:18:37+5:30
बुलंदशहर के स्याना के ग्रामीणों ने भी प्राथमिकी में दो लोगों के नामों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि एक गांव में नहीं रहता और दूसरा बुलंदशहर में इज्तिमा में काम कर रहा था।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में कथित गोकशी मामले में दर्ज प्राथमिकी में सात नामों में से कम से कम चार नामों को लेकर ग्रामीणों ने सवाल खड़ा किया है और एक परिवार का दावा है कि इसमें उनके 11 और 12 साल के दो बच्चों के नाम भी जोड़े गये हैं।
वहीं एनडीटीवी की एक खबर के अनुसार मामले में दर्ज हुई एफआईआर में सात में छह नाम बोगस हैं।
अन्य ग्रामीणों ने भी प्राथमिकी में दो लोगों के नामों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि एक गांव में नहीं रहता और दूसरा बुलंदशहर में इज्तिमा में काम कर रहा था। बुलंदशहर में कथित गोकशी के खिलाफ भीड़ के प्रदर्शन के बाद हिंसा भड़क गयी थी।
पुलिस ने कहा कि मामले की जांच चल रही है। सोमवार को बजरंग दल के योगेश राज की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गयी। वह भीड़ की हिंसा से जुड़ी एक अन्य प्राथमिकी में आरोपी है।
बच्चे चचेरे भाई हैं। एक छठी कक्षा में पढ़ता है तो दूसरा पांचवीं में पढ़ता है। वे नयाबांस गांव में रहते हैं जो चिंगरावठी पुलिस चौकी से तीन किलोमीटर से भी कम दूर है।
पांचवीं में पढ़ने वाले बच्चे के पिता ने कहा, ‘‘गोकशी के आरोप लगाने वाली प्राथमिकी से उनके नाम हटाये जाने चाहिए। उनकी उम्र तो देखिए।’’
छठी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे की मां ने कहा कि पुलिस मंगलवार तड़के उनके घर पहुंची और जांच शुरू कर दी। जब वे गये तो सब कुछ बिखरा हुआ था।
उन्होंने कहा कि घर में घुसकर पुलिस अधिकारी बार बार दो नाम ले रहे थे और पूछ रहे थे कि उन्हें कहां छिपाकर रखा है। मैंने उन्हें बताया कि इस नाम का कोई यहां नहीं रहता और वे चले गये।
एक अन्य ग्रामीण मोहम्मद हुसैन ने आरोप लगाया कि उनका भाई सफरुद्दीन (36) का नाम भी प्राथमिकी में गलत तरह से लिया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘सफरुद्दीन समेत नयाबांस के कई लोग बुलंदशहर में इज्तिमा के लिए गये थे। वह 29 नवंबर से वहां थे और कल ही लौटे। उसे इज्तिमा में पार्किंग व्यवस्था करने का काम दिया गया था।’’
पीटीआई ने जब नयाबांस गांव में प्राथमिकी में दर्ज एक अन्य आरोपी सुदैफ चौधरी के बारे में पूछा तो स्थानीय लोगों ने कहा कि इस नाम का कोई व्यक्ति गांव में नहीं रहता।
शहर पुलिस अधीक्षक प्रवीण रंजन सिंह ने कहा कि शिकायत में शामिल होने के आधार पर नाम दर्ज किये गये हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि यह जांच-पड़ताल और सत्यापन का विषय है कि प्राथमिकी में दर्ज नाम सही हैं या गलत।