कई देशों ने सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र कम की, बंबई उच्च न्यायालय ने कहा-समय आ गया है हमारा देश और संसद भी दुनिया भर में हो रही घटनाओं से अवगत हों

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 13, 2023 16:11 IST2023-07-13T16:10:05+5:302023-07-13T16:11:54+5:30

न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने 10 जुलाई को पारित एक आदेश में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत आपराधिक मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की, जहां पीड़ितों के किशोर होने और सहमति से संबंध बनाने की जानकारी देने के बावजूद आरोपियों को दंडित किया जाता है।

Bombay High Court said Many countries have reduced age consent teenagers have sex time has come for country Parliament also be aware happenings around world | कई देशों ने सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र कम की, बंबई उच्च न्यायालय ने कहा-समय आ गया है हमारा देश और संसद भी दुनिया भर में हो रही घटनाओं से अवगत हों

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Highlightsअवांछित यौन आक्रामकता से सुरक्षित रहने का अधिकार दोनों शामिल हैं।मानव यौन गरिमा को पूर्णत: सम्मानित समझा जा सकता है।युवक और लड़की ने दावा किया था कि वे सहमति से रिश्ते में थे।

मुंबईः बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि कई देशों ने किशोरों के लिए सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र कम कर दी है और अब समय आ गया है कि हमारा देश और संसद भी दुनिया भर में हो रही घटनाओं से अवगत हों।

न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने 10 जुलाई को पारित एक आदेश में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत आपराधिक मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की, जहां पीड़ितों के किशोर होने और सहमति से संबंध बनाने की जानकारी देने के बावजूद आरोपियों को दंडित किया जाता है।

अदालत ने कहा, “यौन स्वायत्तता में वांछित यौन गतिविधि में शामिल होने का अधिकार और अवांछित यौन आक्रामकता से सुरक्षित रहने का अधिकार दोनों शामिल हैं। किशोरों के अधिकारों के दोनों पहलुओं को जब मान्यता दी जाती है तभी मानव यौन गरिमा को पूर्णत: सम्मानित समझा जा सकता है।”

अदालत ने यह टिप्पणी 25 वर्षीय व्यक्ति द्वारा दायर अपील पर की, जिसमें उसने एक विशेष अदालत के फरवरी 2019 के आदेश को चुनौती दी थी। विशेष अदालत ने उसे 17 वर्षीय लड़की से दुष्कर्म के लिए दोषी ठहराया था। युवक और लड़की ने दावा किया था कि वे सहमति से रिश्ते में थे।

लड़की ने विशेष अदालत के समक्ष अपनी दलील में दावा किया कि मुस्लिम कानून के तहत, उसे बालिग माना जाता है और इसलिए उसने आरोपी व्यक्ति के साथ “निकाह” किया है। न्यायमूर्ति डांगरे ने दोषसिद्धि के आदेश को रद्द कर दिया और उस व्यक्ति को बरी कर दिया। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों से स्पष्ट रूप से सहमति से यौन संबंध बनाने का मामला बनता है।

उन्होंने उसे जेल से रिहा करने का आदेश दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि सहमति की उम्र को शादी की उम्र से अलग किया जाना चाहिए क्योंकि यौन कृत्य केवल शादी के दायरे में नहीं होते हैं और न केवल समाज बल्कि न्यायिक प्रणाली को भी इस महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान देना चाहिए।

न्यायमूर्ति डांगरे ने फैसले में कहा, “जब कोई किशोर यौन संबंध बनाता है तो शारीरिक आकर्षण या मोह का मामला हमेशा सामने आता है और अब समय आ गया है कि हमारा देश भी दुनिया भर में होने वाली घटनाओं से अवगत हो।” उन्होंने कहा, हमारे देश के लिए यह जरूरी है कि वह इस संबंध में दुनिया भर में जो कुछ भी हो रहा है, उस पर गौर करें। भाषा प्रशांत मनीषा मनीषा

Web Title: Bombay High Court said Many countries have reduced age consent teenagers have sex time has come for country Parliament also be aware happenings around world

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