Bihar Constable Exam Paper Leak: पूर्व डीजीपी एसके सिंघल ने ली थी मोटी रकम!, प्रिंटिंग प्रेस 'काल्टेक्स मल्टीवेंचर' को 10 फीसदी कमीशन लेकर प्रश्न पत्र छापने का ठेका?, चार्जशीट
By एस पी सिन्हा | Updated: September 11, 2024 15:44 IST2024-09-11T15:42:51+5:302024-09-11T15:44:13+5:30
Bihar Constable Recruitment Exam Paper Leak: मामले की जांच करने के लिए 31 अक्टूबर 2023 को ईओयू के डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लो की अगुवाई में 22 सदस्यीय एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन किया गया था।

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Bihar Constable Recruitment Exam Paper Leak: बिहार में हुए सिपाही भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में आर्थिक अपराध इकाई(ईओयु) के तरफ से कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट में कहा गया है कि बिहार के पूर्व डीजीपी और केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष एसके सिंघल ने मोटी रकम ली है। यह पैसा प्रिंटिंग प्रेस मालिक से कमीशन के रूप में लिया गया। इओयू की ओर से कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में इसका जिक्र है। चार्जशीट में कहा गया है कि सिंघल ने एक कमरे में चलने वाली प्रिंटिंग प्रेस 'काल्टेक्स मल्टीवेंचर' को 10 फीसदी कमीशन लेकर प्रश्न पत्र छापने का ठेका फिजिकल वेरिफिकेशन किए बिना ही दे दिया था। इसको लेकर एसके सिंघल से पूछताछ की गई है। लेकिन, मामले की जांच कर रही ईओयू सिंघल के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं।
इतना ही नहीं बल्कि ब्लेसिंग सेक्सयोर के निदेशक कौशिक कर और कालटेक्स के निदेशक सौरभ बंदोपाध्याय ने अपने बयान में इस बात को स्वीकारा है कि 2022 में मद्य निषेध सिपाही भर्ती का विज्ञापन निकला था, तब दोनों तत्कालीन अध्यक्ष से मिले थे। कंपनी काल्टेक्स को इस शर्त पर ठेका दिया गया कि हमें 10 फीसदी कमीशन देना होगा।
तत्कालीन अध्यक्ष ने काल्टेक्स के साथ एक साल का करार किया। इसी दौरान 2023 में सिपाही बहाली का विज्ञापन निकला। बता दें कि राज्य में 1 अक्टूबर 2023 को सिपाही के 21 हजार से अधिक पदों पर बहाली के लिए परीक्षा हुई थी। परीक्षा शुरू होने से ठीक पहले इसका प्रश्न-पत्र वायरल हो गया था। इस पूरे मामले की जांच करने के लिए 31 अक्टूबर 2023 को ईओयू के डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लो की अगुवाई में 22 सदस्यीय एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन किया गया था। यह टीम इस मामले से संबंधित कई बातों की जांच कर रही है।
इस मामले में कई अब तक कई संवेदनशील जानकारी जांच टीम के हाथ लग चुकी है। ऐसे में अब मामला सामने आया है। यह मामला सामने आने के बाद सिंघल से पहली बार पूछताछ के लिए जांच टीम 8 अप्रैल को उनके आवास पर गई थी। उन्होंने सेहत खराब होने का हवाला दिया। इसके बाद उन्हें 44 प्रश्नों की प्रश्नावली भेजी गई। सिंघल के जवाब से ईओयू संतुष्ट नहीं हैं। दूसरी बार प्रश्नावली भेजी गई है।
इसी बीच, बिहार पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि एसके सिंघल ने अपने डीजीपी रहते हुए कौन-कौन से काम किए हैं, इसका जिक्र अभी भी विभाग में काफी होता है। सिंघल पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी है। इनके ऊपर जांच होनी चाहिए और जांच पूरी होने के बाद एक्शन लिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूर्व डीजीपी एसके सिंघल डीजीपी पद पर रहते हुए पुलिसकर्मियों के विभागीय करवाई से विभाग से संबंधित जिला/ रेंज से अनेकों फाईल अपने पास मंगवाकर से आरोपी से खुद डील करते थे। यह डील कभी पुलिस मुख्यालय में होती थी और कभी डेरा पर या वह नहीं रहे तो उनकी पत्नी भी करती थी।