शराबबंदी के बाद बिहार में दूसरे नशे का बढ़ा चलन! गांजा सहित चरस, स्मैक की बढ़ी खपत, NCB के आंकडे दे रहे गवाही
By एस पी सिन्हा | Published: December 31, 2021 02:59 PM2021-12-31T14:59:15+5:302021-12-31T14:59:15+5:30
बिहार में साल 2016 में नीतीश कुमार की सरकार ने शराबबंदी लागू की. इसके बाद आंकड़े बताते हैं कि अन्य तरह के नशे का चलन राज्य में बढ़ा है. शराब की तस्करी भी बढ़ी है.
पटना: बिहार अब 'उड़ता बिहार' के रूप में बदलने लगा है. राज्य में शराबबंदी कानून लागू किये जाने के बाद से भले ही शराब पीने वालों की संख्या कम हो गई है, लेकिन राज्य में कई अन्य प्रकार के नशे का सेवन बढ़ गया है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी की रिपोर्ट की मानें तो बिहार में पिछले पांच-छह वर्षों में गांजा, अफीम और चरस जैसे मादक पदार्थ का सेवन करने वालों की संख्या में जबर्दस्त वृद्धि हुई है. राज्य में युवाओं के बीच इसकी मांग बढ़ गई है.
आंकडे पर गौर करें तो वर्ष 2015 में बिहार में एनसीबी ने 12.3 किलो गांजा, 1.9 किलो अफीम और 2 किलो चरस बरामद किया. वहीं वर्ष 2016 में 496 किलो गांजा, 8 किलो अफीम और 31.5 किलो चरस जब्त किया गया. यह वही साल था जब बिहार में नीतीश सरकार ने शराबबंदी लागू की थी.
शराबबंदी के बाद गांजा, अफीम पर जोर
शराबबंदी दो साल बाद जब्ती का आंकड़ा बेहद भयावह हो गया. 2018 में बिहार में 14.8 टन गांजा, 5.5 किलो अफीम और 114 किलोग्राम चरस जब्त हुआ है. उसी तरह से बिहार में शराबबंदी के बाद भी किस प्रकार से शराब की तस्करी हो रही है. वर्ष 2021 में दिसम्बर के पहले पखवाड़े के बाद तक 38 लाख लीटर से ज्यादा की अवैध शराब जब्त हुई है.
इसलिए यह भी कहा जा रहा है कि जब्ती के अनुपात में इससे कहीं ज्यादा लोगों ने शराब का सेवन भी किया होगा. राज्य में वर्ष 2016 के बाद से अब तक करीब 3.5 लाख लोगों की गिरफ्तारी शराबबंदी कानून के नाम पर हुई है. वहीं राज्य के लोगों में यह आम धारणा है कि कानून लागू होने के बाद से युवाओं की एक बड़ी संख्या शराब तस्करी में संलिप्त हो गई है.
गिरफ्तार लोगों की संख्या और जब्त शराब के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं. ऐसे में जानकारों की अगर मानें तो एनसीबी ने जब राज्य में इतनी बड़ी जब्ती की है तो इसी अनुपात में इनका सेवन करने वाले भी बढ़े होंगे? इसका एक कारण शराबबंदी भी है क्योंकि शराबबंदी के बाद लोग अन्य प्रकार के नशों का शिकार हुए.