सेक्स के लिए सहमति की उम्र घटाकर हो 16 साल, युवती के अपहरण और बलात्कार पर हाई कोर्ट की टिप्पणी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 28, 2019 08:58 AM2019-04-28T08:58:26+5:302019-04-28T08:58:26+5:30

कोर्ट का कहना है कि 18 साल से कम की लड़की और नाबालिग या नाबालिग उम्र से थोड़ी अधिक की आयु वाले लड़के के बीच संबंधों को 'अप्राकृतिक' या 'प्रतिकूल' नहीं कहा जा सकता.

Age of consent for sex should reduced from 18 to 16 years comment madras high court | सेक्स के लिए सहमति की उम्र घटाकर हो 16 साल, युवती के अपहरण और बलात्कार पर हाई कोर्ट की टिप्पणी

सेक्स के लिए सहमति की उम्र घटाकर हो 16 साल, युवती के अपहरण और बलात्कार पर हाई कोर्ट की टिप्पणी

Highlightsकोर्ट ने सुझाव दिया कि 16 साल की आयु के बाद आपसी सहमति से बनाए गए यौन संबंधों को पॉक्सो कानून के दायरे से बाहर किया जाना चाहिए. कोर्ट का कहना है कि 18 साल से कम की लड़की और नाबालिग या नाबालिग उम्र से थोड़ी अधिक की आयु वाले लड़के के बीच संबंधों को 'अप्राकृतिक' या 'प्रतिकूल' नहीं कहा जा सकता.

मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि 16 साल की आयु के बाद आपसी सहमति से बनाए गए यौन संबंधों को बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत नहीं लाया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने इस संबंध में 'बच्चे' की परिभाषा पर पुनर्विचार किए जाने की बात भी कही है. कोर्ट का कहना है कि 18 साल से कम की लड़की और नाबालिग या नाबालिग उम्र से थोड़ी अधिक की आयु वाले लड़के के बीच संबंधों को 'अप्राकृतिक' या 'प्रतिकूल' नहीं कहा जा सकता.

कोर्ट ने सुझाव दिया कि 16 साल की आयु के बाद आपसी सहमति से बनाए गए यौन संबंधों को बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) कानून के दायरे से बाहर किया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति वी. पार्थीबन ने सबरी नाम के व्यक्ति की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को यह सुझाव दिया जिसमें उसने पॉक्सो कानून के तहत नमक्कल की एक महिला अदालत द्वारा उसे सुनाई गई 10 साल की सजा को चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता पर 17 साल की लड़की के अपहरण और यौन हमला करने का आरोप है.

कम कड़े प्रावधान शामिल करने का सुझाव: कानून में संशोधन का सुझाव देते हुए न्यायाधीश ने कहा, ''16 साल की उम्र के बाद आपसी सहमति से बनाए गए यौन संबंधों या शारीरिक संपर्कों या इससे जुड़े कृत्यों को पॉक्सो कानून के कठोर प्रावधानों से बाहर किया जा सकता है और इस तरह के यौन हमले को, अगर यह इस तरह से परिभाषित है, तो उसकी सुनवाई ज्यादा उदार प्रावधान के तहत हो सकती है, जिन्हें कानून में शामिल किया जा सकता है...'' इससे पहले, न्यायाधीश ने आरोपी को सभी आरोपों में बरी करते हुए निचली अदालत की दोषसिद्धि निरस्त की थी.

मामला सक्षम प्राधिकार के सामने रखकर संभावनाएं तलाशें: न्यायाधीश ने राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, सामाजिक रक्षा आयुक्त सहित अन्य को इस मामले को सक्षम प्राधिकार के सामने रखने तथा इस बात की संभावनाएं तलाशने को कहा कि सुझाव सभी पक्षों को स्वीकार्य हैं या नहीं.

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर 

Web Title: Age of consent for sex should reduced from 18 to 16 years comment madras high court

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