मोबाइल पर गेम खेलना अब जानलेवा बनता जा रहा है, बावजूद इसके इस पर प्रतिबंध नहीं लग रहा है. इसी कड़ी में बिहार के भागलपुर में हबीबपुर थाना क्षेत्र के दाउदबॉट मोहल्ले में मोबाइल पर पब्जी खेल रहे किशोर बेटे को मां-बाप ने डांटा तो इकलौते किशोर बेटे ने गले में फंदा डालकर खुदकुशी कर ली.
बताया जाता है कि अधिवक्ता रामविलास यादव का इकलौता बेटा पीयूष कुमार (17) इसी साल प्रथम श्रेणी से इंटर की परीक्षा पास की थी. घटना की सूचना मिलने पर पुलिस दाउदबॉट पहुंचकर घटना की जांचकर शव को कब्जे में ले लिया.
गेम के चक्कर में भूल गया खाना-पीना
यूडी रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. वहीं, परिवार वालों का कहना है कि इंटर परीक्षा के बाद पीयूष दिनभर मोबाइल पर पबजी गेम खेलते रहता था. खाने और सोने की भी उसे चिंता नहीं थी. रात में छत पर गेम खेल रहा था. मां ने कई बार आवाज लगाकर खाने के लिए बुलाई लेकिन वह नहीं आ रहा था. कह रहा था मूड ठीक नहीं है. टेंशन में हूं.
मां के डांटने के बाद पिता ने भी बेटे को फटकार लगाई. उसके बाद वह कमरे में बंद हो गया. सुसाइड नोट लिखकर गले में गमछा बांधकर पंखे से लटक गया. सुबह घटना की जानकारी मिलने पर घर में कोहराम मच गया. पोस्टमार्टम हाउस में सुसाइड नोट मिला.
पीयूष था स्वाभाव से जिद्दी
परिवार वालों के मुताबिक, पीयूष स्वभाव से जिद्दी था. पढ़ाई भी करता था तो उसे खाने-पीने की चिंता नहीं रहती थी. पढ़ने में बहुत तेज था. मैट्रिक और इंटर प्रथम श्रेणी से पास किया था. बहन रेशम भारती की शादी हो चुकी है.
घर में पीयूष मां-पिता के साथ रहता था. पार्ट वन में नामांकन के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था. मां-पिता को बेटे के अफसर बनने का सपना था, लेकिन पता नहीं था कि जिद्दी स्वभाव के पियूष को डांटना महंगा पड जाएगा.
पीयूष ने सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं पूरे होशो हवास में सुसाइड करने जा रहा हूं. इसके पीछे किसी का कोई हाथ नहीं है. इसका पूरी तरह से मैं जिम्मेदार हूं. बस एक बात सभी माताओं और पिताओं से कहना चाहता हूं कि अपने बच्चों पर कभी किसी चीज का दवाब न डालें. इससे बच्चे अच्छे नहीं और खराब हरो जाते हैं. शायद यह बात मेरी मां नहीं समझ पाई.
वहीं, भागलपुर के एसएसपी आशीष भारती ने कहा कि मोबाइल पर पबजी गेम खेलने के दौरान एक सैनिक के शहीद होने कारण पीयूष आहत था. गेम के तनाव में आकर उसने खुदकुशी कर ली है. एसएसपी ने अपील करते हुए कहा है कि गेम को गेम की तरह लें.
गेम में उतार-चढ़ाव होता है. इससे आहत होने की जरूरत नहीं है. कोई गलत कदम नहीं उठाएं. उन्होंने अभिभावकों से अपने बच्चों पर निगरानी रखने के लिए कहा.
उन्होंने अभिभावकों से अपील किया कि बच्चों को मोबाइल से दूर रखें. ज्यादा गेम न खेलने दें. बच्चे मोबाइल के आदि हो गए हैं तो उन्हें प्यार से समझाएं. गेम देखकर या छोटी सी बात को लेकर कठोर कदम न उठाइए.