मुंबई, दो मई: सचिन तेंदुलकर के करियर में उनके भाई अजीत का योगदान किसी से छिपा नहीं है और तेंदुलकर ने बताया कि जब दोनों भाई एक दूसरे के आमने सामने थे और कोई जीतना नहीं चाहता था। तेंदुलकर बांद्रा उपनगर में एमआईजी क्रिकेट क्लब में अपने नाम के पविलियन के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, 'मैने कभी इसके बारे में नहीं बोला लेकिन पहली बार बोल रहा हूं। कई साल पहले, मुझे याद भी नहीं है कि मैं अंतरराष्ट्रीय या रणजी क्रिकेट खेलता था या नहीं लेकिन मैं अच्छा खेलता था।' उन्होंने कहा, 'मुझे पता था कि मेरा ग्राफ ऊपर जा रहा है। उस समय एमआईजी में एक विकेट का टूर्नामेंट होता था। मैं एक टूर्नामेंट खेल रहा था जिसमें अजीत भी खेल रहे थे। हम दोनों अलग-अलग पूल में थे।'
उन्होंने कहा, 'सेमीफाइनल में हमारा सामना हुआ और वही एकमात्र मैच हमने एक दूसरे के खिलाफ खेला। बंगाल क्रिकेट क्लब में भी हम एक मैच खेले लेकिन एक दूसरे के खिलाफ नहीं।'
तेंदुलकर ने कहा, 'मैं अजीत की भाव-भंगिमा से समझ गया था कि वह जीतना नहीं चाहते और मैं भी। हम एक दूसरे को हराना नहीं चाहते थे। मैने बल्लेबाजी शुरू की और उन्होंने जान बूझकर नो बॉल और वाइड बॉल डालनी शुरू कर दी। मैं जान बूझकर रक्षात्मक खेल रहा था जो एक विकेट क्रिकेट में नहीं होता है।'
उन्होंने कहा, 'अजीत ने मेरी तरफ देखकर ढंग से बल्लेबाजी का इशारा किया। आपको अपने बड़े भाई की बात माननी पड़ती है। मैने वह मैच नहीं जीता बल्कि वह हार गए। हम दोनों समान नतीजा चाहते थे लेकिन मेरी टीम फाइनल में पहुंच गई।'