9 उंगलियों के साथ करते रहे देश के लिए विकेटकीपिंग, गलव्स में लगाते थे टेप ताकि...

अगस्त 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू करने वाले इस विकेटीपर-बल्लेबाज ने 25 टेस्ट मैचों की 38 पारियों में 6 अर्धशतक की मदद से 934 रन बनाए।

By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Published: April 28, 2020 03:36 PM2020-04-28T15:36:51+5:302020-04-28T15:46:08+5:30

Parthiv Patel reveals how he lost a finger; proud to represent India as wicket-keeper | 9 उंगलियों के साथ करते रहे देश के लिए विकेटकीपिंग, गलव्स में लगाते थे टेप ताकि...

9 उंगलियों के साथ करते रहे देश के लिए विकेटकीपिंग, गलव्स में लगाते थे टेप ताकि...

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Highlights2002 में पार्थिव पटेल ने किया अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू।महज 17 साल की उम्र में खेला पहला टेस्ट मैच।

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में महज 17 साल की उम्र में डेब्यू करने वाले भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज पार्थिव पटेल का करियर भले ही ज्यादा लंबा नहीं चला, लेकिन उन्होंने फैंस के बीच अपनी गहरी छाप छोड़ी। 

35 साल के इस खिलाड़ी के बारे में शायद कम ही लोग जानते हैं कि वह 9 उंगलियों के साथ विकेटकीपिंग करते हैं। जी हां, दरअसल जब पार्थिव 6 साल के थे, तब उनके बाएं हाथ की सबसे छोटी उंगुली दरवाजे में आ गई थी, जिसके बाद इसे काटना पड़ गया।

पार्थिव ने हाल में इंस्टाग्राम लाइव में बताया कि कैसे इसकी वजह से उन्हें दिक्कतें सामने आईं। उन्होंने कहा, ''यह थोड़ा मुश्किल था, क्योंकि एक उंगली के लिए ग्लव्स खाली रहता था। मैं अपने ग्लव्स में टेप लगा लेता था, ताकि ऐसा लगे कि ये जुड़ा हुआ है। मुझे नहीं पता अगर सभी उंगलियां होतीं तो मैं कैसा परफॉर्म करता... लेकिन देश का प्रतिनिधित्व करना बहुत अच्छा रहा।''

अगस्त 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू करने वाले पार्थिव पटेल ने 25 टेस्ट मैचों की 38 पारियों में 6 अर्धशतक की मदद से 934 रन बनाए। वहीं 38 वनडे में उन्होंने 736 रन जुटाए, जिसमें 4 फिफ्टी भी शामिल रही। पार्थिव को 2 अंतर्राष्ट्रीय टी20 में भी मौका मिला, जिसमें वह 36 रन ही बना सके। 9 मार्च 1985 को अहमदाबाद में जन्मे इस खिलाड़ी ने भारत की ओर से बतौर विकेटकीपर 93 कैच लपके, जबकि 19 स्टंप आउट किए हैं। 

पार्थिव 2018-19 के दौरान ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक टेस्ट श्रृंखला जीत के दौरान भारतीय टेस्ट टीम का हिस्सा थे। हालांकि वह उस सीरीज में एक भी मैच नहीं खेल सके थे।

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