Highlightsमनोज तिवारी ने 2007 में भारत के लिए टेस्ट डेब्यू का मौका चोटिल होने की वजह से गंवा दिया थामनोज तिवारी ने इसके एक साल बाद 2008 में वनडे डेब्यू किया था, पर कभी टेस्ट नहीं खेल पाए
बंगाल के बल्लेबाज मनोज तिवारी ने चोट की वजह से भारत के लिए अपने टेस्ट डेब्यू का मौका गंवाने की निराशा का खुलासा किया है। तिवारी 2007 में भारत के बांग्लादेश दौरे पर अपना पहला टेस्ट खेलने वाले थे लेकिन फील्डिंग ड्रिल के दौरान कंधा खिसकने की वजह से उन्हें बाहर बैठना पड़ा और उनके भारत के लिए डेब्यू का इंतजार बढ़ गया।
एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक, तिवारी ने स्पोर्ट्सकीड़ा के लिए एक इंटरव्यू में कहा, 'मैं अच्छी फॉर्म में था और अच्छी लय में था, लेकिन मुझे चोट की वजह से बाहर बैठना पड़ा। उस दिन मैं अपने होटल के कमरे में गया और रोया।'
मनोज तिवारी ने 2006-07 में घरेलू क्रिकेट में छोड़ी थी छाप
तिवारी का 2006-07 सीजन में बंगाल के लिए प्रदर्शन शानदार रहा था और उन्होंने केवल 7 मैचों में तीन शतकों और एक फिफ्टी की मदद से 99.5 के औसत से 796 रन बनाए थे। वह उस सीजन में रॉबिन उथप्पा (4 शतकों, 3 अर्धशतकों की मदद से 854 रन) के बाद दूसरे सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज थे। तिवारी ने आखिरकार अपना डेब्यू अगले साल सीबी सीरीज के दौरान ऑस्ट्रेलिया में किया था। वह पहले मैच में बोल्ड हो गए और उन्हें अगला मौका पाने के लिए तीन साल तक इंतजार करना पड़ा।
तिवारी ने कहा, 'जब हम ऑस्ट्रेलिया गए थे तो मिडिल ऑर्डर के ज्यादातर बल्लेबाज रन नहीं बना रहे थे। मिडिल ऑर्डर में पर्याप्त जगह थी, जहां मैं इन खिलाड़ियों के साथ फिट हो सकता था।'
वनडे शतक जड़ने के बावजूद टीम से बाहर हुए थे मनोज तिवारी
तिवारी टीम इंडिया के उन कुछ अनलकी बल्लेबाजों में से एक हैं, जो पिछले मैच में शतक बनाने के बाद अगल मैच से बाहर कर दिए गए। तिवारी ने भारत के अपना डेब्यू करने के बाद दिसंबर 2011 में चेन्नई में वेस्टइंडीज के खिलाफ 104 रन की नाबाद मैच जिताऊ पारी खेली थी। लेकिन बाद में उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था और वह अगले 14 मैच नहीं खेले थे।
तिवारी को भारत के लिए खेलने का अगला अवसर आठ महीने बाद मिला, जब भारत ने अगस्त 2012 में श्रीलंका का दौरा किया था। तिवारी ने चौथ मैच में 21 रन बनाने के बाद अगले मैच में अर्धशतक बनाया था लेकिन फिर दो साल के लिए बाहर कर दिए गए थे। 2015 में जिम्बाब्वे में तीन वनडे मैचों की सीरीज उनकी भारत के लिए आखिरी सीरीज थी।