एक फोन कॉल ने खत्म कर दिया था इस भारतीय गेंदबाज का करियर, कहा जाता था स्पिन का जादूगर

36 टेस्ट में 149 विकेट लेने वाले सुभाष गुप्ते को स्पिन का जादूगर माना जाता था, लेकिन एक फोन कॉल ने उनका करियर खत्म कर दिया।

By सुमित राय | Published: May 31, 2018 7:22 AM

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50 के दशक में स्पिन का जादू चलाने वाले सुभाष गुप्ते का जन्म 11 दिसंबर 1929 को बॉम्बे (अब मुंबई) में हुआ था। करियर में उतार चढ़ाव के बाद वो त्रिनिदाद जाकर बस गए और 30 मई 2002 को पोर्ट ऑफ स्पेन में उनका देहांत हो गया था। 36 टेस्ट में 149 विकेट लेने वाले सुभाष गुप्ते को स्पिन का जादूगर माना जाता था, लेकिन एक फोन कॉल ने उनका करियर खत्म कर दिया और उनको दोबारा मैच खेलने का मौका नहीं मिला।

सुभाष गुप्ते ने अपनी घातक स्पिन गेंदबाजी से बल्लेबाजों को हमेशा परेशान किया और इसका सबूत ये है कि वेस्टइंडीज के महान ऑलराउंडर सर गैरी सोबर्स ने लेग ब्रेक गुगली गेंदबाज सुभाष गुप्ते को शेन वॉर्न से भी ज्यादा असरदार गेंदबाज बताया था।

एक फोन कॉल ने कैसे खत्म किया करियर

1961 में इंग्लैंड की टीम भारत के दौरे पर थी और इस दौरान भारतीय टीम दिल्ली के इंपीरियल होटल में ठहरी हुई थी। होटल की रिसेप्शनिस्ट ने शिकायत की कि उसके साथ भारतीय टीम के एक खिलाड़ी ने फोन पर छेड़छाड़ की है। जिस रूम से रिसेप्शनिस्ट को फोन किया गया था वह रूम सुभाष गुप्ते का था और उनके रूम-मेट एजी कृपाल सिंह थे। फोन करने वाले पर रूम में रिसेप्शनिस्ट को बुलाने और डेट पर चलने के लिए परेशान करने का आरोप लगा।

रिसेप्शनिस्ट ने टीम मैनेजर से की शिकायत

उस रिसेप्शनिस्ट ने इसकी शिकायत भारतीय टीम के मैनेजर से की। कृपाल सिंह ने बाद में सुभाष के सामने अपनी गलती मानी। जब सुभाष ने यह बात बोर्ड के एक सदस्य को बताई तो उन्होंने कहा कि कृपाल को अपने कमरे का फोन क्यों इस्तेमाल करने दिया। इस पर सुभाष ने कहा कि वह वयस्क और समझदार पुरुष हैं। मैं उनको कैसे रोक सकता था?

सुभाष गुप्ते को दोबारा नहीं मिला खेलने का मौका

इसके बाद सुभाष गुप्ते और कृपाल सिंह को इस शिकायत के आधार पर अगले दो टेस्ट मैचों के लिए भारतीय टीम से हटा दिया गया। बोर्ड ने निर्णय लिया कि वेस्टइंडीज के दौरे के लिए इन दोनों खिलाड़ी पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। इसके बाद उनको दोबारा मैच खेलने का मौका नहीं मिला और यहीं से सिर्फ 32 साल की उम्र में सुभाष गुप्ते का करियर खत्म हो गया।

टेस्ट मैच की एक पारी में लिया था 9 विकेट

सुभाष गुप्ते ने अपनी घातक स्पिन गेंदबाजी से बल्लेबाजों को हमेशा परेशान किया। साल 1958 में जब वेस्टइंडीज की टीम भारत आई थी। सुभाष ने कानपुर टेस्ट की पहली पारी में वेस्टइंडीज से 9 विकेट चटकाए थे। 10वां विकेट भी गुप्ते के नाम हो सकता था, लेकिन विकेटकीपर नरेन तम्हाणे ने लान्स गिब्स को कैच छोड़ दिया था।

यहीं नहीं सुभाष गुप्ते फर्स्ट क्लास क्रिकेट की एक पारी में 10 विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज थे। उन्होंने 1954-55 में बॉम्बे की ओर से खेलते हुए बहावलपुर इलेवन के खिलाफ 78 रन देकर 10 विकेट चटकाए थे।

त्रिनिदाद की महिला से की शादी

फोन कॉल विवाद के बाद सुभाष गुप्ते का करियर खत्म हो गया और वो त्रिनिदाद चले गए। इसके बाद उन्होंने त्रिनिदाद की महिला कैरोल से शादी के बाद वहीं बस गए। उन्होंने त्रिनिदाद और साउथ त्रिनिदाद की ओर से कुछ फर्स्ट क्लास क्रिकेट भी खेले।

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