BCCI में सौरव गांगुली और जय शाह के पद पर बने रहने का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड के संविधान में बदलाव की इजाजत दी

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को उसके संविधान में बदलाव की इजाजत दे दी है। बीसीसीआई की ओर से दिए गए प्रस्ताव में संविधान में 'कूलिंग ऑफ' अवधि से जुड़े नियमों में बदलाव की बात कही गई थी।

By विनीत कुमार | Published: September 14, 2022 5:06 PM

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ठळक मुद्देसुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को उसके संविधान में बदलाव के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।संविधान में मुख्य तौर पर कूलिंग ऑफ’ अवधि नियम को खत्म करने की बात थी।सुप्रीम कोर्ट की ओर से बोर्ड के संविधान में बदलाव की मंजूरी के बाद सौरव गांगुली और जय शाह का कार्यकाल बढ़ सकता है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की ओर से उसके संविधान में बदलाव संबंधी प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही अब सौरव गांगुली के अगले और तीन साल तक बीसीसीआई के अध्यक्ष बने रहने का रास्ता साफ हो गया है। वहीं, जय शाह का भी अगले तीन साल तक बीसीसीआई सचिव बने रहना लगभग तय है।

सुप्रीम कोर्ट ने BCCI को अपने संविधान में संशोधन करने की अनुमति देते हुए कहा, 'हमारा विचार है कि संशोधन मूल उद्देश्य को कमजोर नहीं करेगा। हम प्रस्तावित संशोधन को स्वीकार करते हैं। बीसीसीआई द्वारा प्रस्तावित संशोधन हमारे मूल निर्णय की भावना से अलग नहीं है और इसे स्वीकार किया जाता है।'

सुप्रीम कोर्ट बीसीसीआई की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें उसके अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह सहित अन्य पदाधिकारियों के कार्यकाल के संबंध में अपने संविधान में संशोधन करने की मांग की गई थी। इसमें राज्य क्रिकेट संघों और बीसीसीआई के पदाधिकारियों के कार्यकाल के बीच अनिवार्य ‘कूलिंग ऑफ’ अवधि (तीन साल तक कोई पद नहीं संभालना) नियम को बदलने का प्रस्ताव था। 

बीसीसीआई के मौजूदा संविधान के अनुसार, एक पदाधिकारी को राज्य संघ या बीसीसीआई या दोनों संयुक्त रूप से, के लगातार दो कार्यकालों के बीच तीन साल की कूलिंग ऑफ अवधि से गुजरना पड़ता है। 

बीसीसीआई की ओर से मामले में मंगलवार को पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ से कहा कि देश में क्रिकेट का खेल काफी व्यवस्थित है। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई एक स्वायत्त संस्था है और सभी बदलावों पर क्रिकेट संस्था की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में विचार किया गया। 

मेहता ने कहा था, 'वर्तमान संविधान में कूलिंग ऑफ अवधि का प्रावधान है। अगर मैं एक कार्यकाल के लिए राज्य क्रिकेट संघ और लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए बीसीसीआई का पदाधिकारी हूं, तो मुझे कूलिंग ऑफ अवधि से गुजरना होगा।' उन्होंने कहा कि दोनों निकाय अलग हैं और उनके नियम भी अलग हैं और जमीनी स्तर पर नेतृत्व तैयार करने के लिए पदाधिकारी के लगातार दो कार्यकाल बहुत कम हैं।

(भाषा इनपुट)

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