रणजी ट्रॉफी में पहली बार होगा DRS का इस्तेमाल, इन मैचों में खिलाड़ी कर सकेंगे अंपायरों के फैसले का रिव्यू

रणजी ट्रॉफी के इतिहास में पहली बार अंपायरों के फैसले की समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) का इस्तेमाल किया जा रहा है।

By भाषा | Published: February 19, 2020 7:53 AM

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ठळक मुद्देरणजी ट्रॉफी में इस साल पहली बार अंपायरों के फैसले की समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) का इस्तेमाल होगा।हालांकि गुरुवार से शुरू हो रहे क्वार्टर फाइनल मैचों में डीआरएस का इस्तेमाल नहीं होगा।

बीसीसीआई के क्रिकेट महाप्रबंधक सबा करीम ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि हमेशा से अंपायरों के फैसले की समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) के रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल से सीमित इस्तेमाल की योजना बनाई गई थी और नॉकआउट चरण से इसके इस्तेमाल की योजना नहीं थी।

पिछले सत्र में अंपायरों के कुछ नॉकआउट मैचों के दौरान काफी खराब फैसले देने क बाद डीआरएस के सीमित इस्तेमाल की योजना बनाई गई थी। हालांकि गुरुवार से शुरू हो रहे क्वार्टर फाइनल मैचों में डीआरएस का इस्तेमाल नहीं होगा।

भारत के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज सबा करीम ने पीटीआई से कहा, ‘‘हम इसे सेमीफाइनल से लागू कर रहे हैं। हम पहली बार इसे लागू कर रहे हैं, हम इसे सेमीफाइनल से लागू करना चाहते थे और हमने ऐसा किया है। कभी इसके क्वार्टर फाइनल में इस्तेमाल की योजना नहीं थी।’’

रणजी सेमीफाइनल में हालांकि डीआरएस का सीमित इस्तेमाल होगा। हाक आई और अल्ट्रा ऐज की सुविधा उपलब्ध नहीं होगी तो अंतरराष्ट्रीय मैचों में डीआरएस का अहम हिस्सा होते हैं।

सबा करीम ने कहा, ‘‘हम उस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं जो हमारे पास उपलब्ध है। हम डीआरएस का बेहद सीमित इस्तेमाल कर रहे हैं। हमारे पास स्निकोमीटर और बाल ट्रेकिंग नहीं है। हमारे पास रेड जोन और स्पिन विजन है और हम अंपायरों को फैसला करने के लिए वह चीज मुहैया कराने का प्रयास करेंगे जो उपलब्ध है।’’

सबा करीम ने हालांकि इससे पहले पिछले साल जुलाई में ईएसपीएन क्रिकइंफो से कहा था कि नॉकआउट मैचों से डीआरएस का इस्तेमाल किया जाएगा।

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