भारत के पूर्व बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने कोलकाता के ईडन गार्डंस में 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिी ऐतहासिक जीत को याद करते हुए कहा, कैसे मैच के आखिरी दिन दर्शकों के शानदार समर्थन से टीम इंडिया और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए आतुर थी। द्रविड़ ने इस टेस्ट मैच में 180 रन की शानदार पारी खेली थी और वीवीएस (281 रन) के साथ मैच बदलने वाली साझेदारी की थी। द्रविड़ ने मैच के आखिरी दिन के माहौल के बारे में कहा कि वह स्टेडियम के जुनून को आज भी महसूस कर सकते हैं। राहुल द्रविड़ ने स्टार स्पोर्ट्स के शो क्रिकेट कनेक्टेड में कहा, 'आखिरी दिन का माहौल, चाय के बाद जब हम विकेट लेने की कोशिश कर रहे थे। हरभजन सिंह गेंदबाजी कर रहे थे और विकेट गिर रहे थे। दर्शकों का समर्थन अविश्वसनीय था। ईडन गार्डंस के दर्शकों ने हमें 2001 में कोलकाता टेस्ट जीतने में मदद की। वह समर्थन, प्रोत्साहन और हर गेंद के बाद चीयर, मुझे यह अब तक याद है और मैं अभी भी महसूस कर सकता हूं।'
द्रविड़ और लक्ष्मण ने पांचवें विकेट के लिए 331 रन की साझेदारी करते हुए फॉलोऑन खेलने उतरी भारतीय टीम की मैच में वापसी कराई थी। पहली पारी में 171 रन से पिछड़ने के बाद भारतीय टीम ने दूसरी पारी 657/7 के स्कोर पर घोषित करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने आखिरी दिन जीत के लिए 384 रन का लक्ष्य रखा। ऑस्ट्रेलियाई टीम टी के समय 161/3 का स्कोर बना चुकी थी और मैच को ड्रॉ की ओर ढकेल रही थी, लेकिन आखिरी सीजन में उसकी बैटिंग लड़खड़ा गई और उसने 46 रन में 7 विकेट खोते हुए हुए मैच 171 रन के बड़े अंतर से गंवा दिया।
द्रविड़ ने बताया कैसे दर्शकों की मदद से मिली थी कोलकाता टेस्ट में जीत
इस मैच को अपने करियर का यादगार पल बताते हुए द्रविड़ ने कहा कि ये ऐसा समय था जब दर्शक सच में टीम इंडिया के साथ खड़े थे।
द्रविड़ ने कहा, 'मेरे करियर में ऐसी कई चीजें नहीं हैं जो मुझे याद हैं लेकिन टी के बाद का समय उन पलों में एक था, मैदान का जुनून और वातावरण, इसीलिए ईडन गार्डंस में पूरा स्टेडियम भरा हुआ देखना शानदार होता है।'
द्रविड़ ने कहा, ये ऐसा अनुभव है जिसे हर क्रिकेटर को महसूस करना चाहिए। खचाखच भरे हुए स्टेडियम के सामने खेलना और वैसी एनर्जी। ये ऐसी ही चीजें हैं, जो मुझे याद हैं, ड्रेसिंग रूम में ऊर्जा और सिहरन, मैदान पर सिहरन, ये कुछ ऐसा हो जो आपके साथ रहता है। एक पूर्व क्रिकेटर के तौर पर आपकी इच्छा होती है कि कि अगली पीढ़ी उन चीजों का अनुभव करे जो हमने किया है।