केएल राहुल से पहले उपकप्तानी छिनी, अब इंदौर टेस्ट से भी हो सकते हैं बाहर!

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के शुरुआती 2 टेस्ट मैचों के लिए चुनी गई भारतीय टीम में केएल राहुल बतौर उप-कप्तान टीम में शामिल किए गए थे। लेकिन नागपुर और दिल्ली दोनो जगह असफल रहे। अब टीम की उपकप्तान के पद से हटाए जा चुके हैं राहुल।

By शिवेंद्र राय | Published: February 20, 2023 6:38 PM

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ठळक मुद्देइंदौर टेस्ट में राहुल के लिए टीम में जगह बनाना आसान नहींशुभमन गिल को मिल सकता है ओपनर के रूप में मौकाटीम की उपकप्तान के पद से हटाए जा चुके हैं राहुल

नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के शुरुआती 2 टेस्ट मैचों के लिए चुनी गई भारतीय टीम में केएल राहुल बतौर उप-कप्तान टीम में शामिल किए गए थे। लेकिन नागपुर और दिल्ली दोनो जगह असफल रहे। जब तीसरे और चौथे टेस्ट के लिए भारतीय टीम का चयन किया गया तब राहुल को टीम में तो जगह मिली लेकिन उनसे उप कप्तानी की जिम्मेदारी छिन ली गई।

अब खबर है कि राहुल को इंदौर में होने वाले तीसरे टेस्ट से बाहर किया जा सकता है। इनसाइडस्पोर्ट ने बीसीसीआई सूत्रों के हवाले से बताया है कि तीसरे टेस्ट से राहुल को बाहर करने के संकेत हैं। बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, विचार यह था कि हम जितना हो सके उसकी मदद करें। टीम में उनकी स्थिति फिलहाल अनिश्चित है। हां, राहुल ने अतीत में विदेशों में टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन अभी वह उस स्तर पर नहीं है। राहुल टीम में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन जो टीम जीत रही है, उसके साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। इसलिए उन्हें टीम में बने रहने का मौका दिया गया।”

बता दें कि साल 2014 में टेस्ट डेब्यू करने वाले केएल राहुल ने अब तक भारत के लिए 46 टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें उनकी औसत 34.08 की है। 7 शतक के साथ केएल राहुल ने अब तक केवल 2624 रन बनाए हैं। माना जा रहा है कि मौजूदा बॉर्डर गावस्कर सीरीज राहुल के लिए आखिरी मौका है।

राहुल की टीम में जगह को लेकर कई पूर्व भारतीय क्रिकेटर भी अब खुल कर बोल रहे हैं। भारतीय टीम के पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद ने राहुल के लिए चयनकर्ताओं पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया है और उनको अंतहीन मौके दिए जाने की बात कही है। दिल्ली टेस्ट के बाद वेंकटेश प्रसाद ट्विटर पर लिखा, "खराब फॉर्म जारी है। एक ऐसे खिलाड़ी के साथ बने रहना जो खराब फॉर्म में है, मैनेजमेंट की कमी को दिखाता है। भारतीय क्रिकेट के कम से कम पिछले 20 वर्षों में किसी भी शीर्ष क्रम के बल्लेबाज ने इतने कम औसत के साथ इतने सारे टेस्ट नहीं खेले हैं। प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को प्लेइंग-11 में शामिल होने का मौका नहीं मिल रहा है। शिखर का टेस्ट औसत 40+ था, मयंक का 41+ था जिसमें 2 दोहरे शतक थे। शुभमन गिल शानदार फॉर्म में हैं, सरफराज कभी ना खत्म होने वाला इंतजार कर रहे हैं। कई सारे घरेलू प्रदर्शनों की लगातार उपेक्षा हो रही है। उनका टीम में होना न्याय के प्रति विश्वास को हिला देता है। शिवसुंदर दास और सदगोपन रमेश में काफी संभावनाएं थीं। दोनों का औसत 38+ था, लेकिन वह 23 टेस्ट मैचों से आगे नहीं बढ़ पाए। राहुल का लगातार खेलना भारत में बल्लेबाजी प्रतिभा की कमी का आभास देता है जो सच नहीं है। पिछले 5 वर्षों में कुल 47 पारियों में उनका औसत 27 से नीचे है।" 

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