Highlightsपीयूष चावला को चेन्नई सुपरकिंग्स ने 6.75 करोड़ में खरीदारॉबिन उथप्पा और जयदेव उनादकट को राजस्थान ने 3-3 करोड़ में खरीदा
आईपीएल 2020 की नीलामी में विदेशी खिलाड़ियों की इस बार भारतीय खिलाड़ियों से ज्यादा मांग रही। गुरुवार (19 दिसंबर) को कोलकाता में हुई नीलामी में ऑस्ट्रेलिया के पैट कमिंस 15.50 करोड़ रुपये के साथ सबसे मंहगे बिकने वाले खिलाड़ी रहे।
वहीं भारतीय खिलाड़ियों में ये श्रेय मिला स्पिनर पीयूष चावला को, जिन्हें 6.75 करोड़ रुपये में चेन्नई सुपरकिंग्स ने खरीदा।
भारतीय कैप्ड खिलाड़ियों में चावला के अलावा सबसे महंगे बिकने वाले खिलाड़ियों में रॉबिन उथप्पा और जयदेव उनादकट भी शामिल रहे, जो 3-3 करोड़ रुपये में बिके।
आईपीएल 2020 नीलामी: सबसे महंगे कैप्ड भारतीय खिलाड़ियों की लिस्ट
1.पीयूष चावला (बेस प्राइस 1 करोड़), 6.75 करोड़ रुपये में चेन्नई सुपरकिंग्स ने खरीदा
लेग स्पिनर पीयूष चावला इस सीजन में बिकने वाले सबसे महंगे कैप्ड भारतीय खिलाड़ी रहे। उन्हें तीन बार की चैंपियन चेन्नई सुपरकिंग्स ने 6.75 करोड़ रुपये में खरीदा।
चावला का बेस प्राइस 1 करोड़ रुपये था और उन्हें खरीदने के लिए चेन्नई और पंजाब के बीच जमकर बोली लगी, लेकिन आखिरकार आईपीएल इतिहास के चौथे सबसे कामयाब गेंदबाज को चेन्नई ने खरीदा।
2.रॉबिन उथप्पा (बेस प्राइस 1.5 करोड़), 3 करोड़ रुपये में राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा
राजस्थान रॉयल्स ने उनादकट को खरीदने से पहले रॉबिन उथप्पा को उनकी बेस प्राइस से दोगुनी कीमत पर 3 करोड़ में खरीदा। उथप्पा को आईपीएल नीलामी से पहले कोलकाता ने रिलीज कर दिया था।
आईपीएल 2019 में कोलकाता के लिए उथप्पा का प्रदर्शन बेहद साधारण रहा था और वह 11 पारियों में 115.10 के स्ट्राइक रेट से 282 रन ही बना पाए थे। आईपीएल 2020 नीलामी में उथप्पा पहले भारतीय थे, जिन पर बोली लगी, जिसमें पंजाब को पीछे छोड़ते हुए राजस्थान ने उन्हें खरीदा।
3.जयदेव उनादकट (बेस प्राइस 1 करोड़), 3 करोड़ में राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा
राजस्थान ने नीलामी से पहले सौराष्ट्र के पेसर उनादकट को रिलीज कर दिया था और फिर उसी ने उनादकट को पिछले सीजन के मुकाबले 5.4 करोड़ रुपये कम, यानी 3 करोड़ रुपये में खरीदा।
1 करोड़ की बेस प्राइस वाले उनादकट को खरीदने के लिए दिल्ली कैपिटल्स और राजस्थान के बीच होड़ लगी और आखिरकार इस तेज गेंदबाज को राजस्थान ने ही खरीदा। उनादकट ने पिछले सीजन में 10 विकेट झटके थे, लेकिन उनकी 10.66 की इकॉनमी रेट राजस्थान के लिए सबसे बड़ी चिंता का कारण थी।