कोहली ने जयपुर के हाथी के पुनर्वास के लिए लिखा लेटर, जानें क्या है पूरा मामला

अमेरिकी पर्यटकों के एक समूह ने पिछले साल जून में आमेर किले में आठ लोगों को बेहद हिंसक तरीके से हाथी को पीटते हुए देखा था।

By भाषा | Updated: November 29, 2018 16:42 IST2018-11-29T16:42:00+5:302018-11-29T16:42:00+5:30

Indian captain Virat Kohli calls for relocation of Jaipur elephant | कोहली ने जयपुर के हाथी के पुनर्वास के लिए लिखा लेटर, जानें क्या है पूरा मामला

कोहली ने जयपुर के हाथी के पुनर्वास के लिए लिखा लेटर, जानें क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली, 29 नवंबर। भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली ने गुरुवार को पीपल फोर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) की ओर से राजस्थान के वन एवं पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखकर ‘नंबर 44’ से पहचाने जाने वाले हाथी को पुनर्वास केंद्र में भेजने की मांग की है।

अमेरिकी पर्यटकों के एक समूह ने पिछले साल जून में आमेर किले में आठ लोगों को बेहद हिंसक तरीके से हाथी को पीटते हुए देखा था और इस हाथी को इस्तेमाल अब भी सवारी ढोने के लिए किया जा रहा है।

कोहली ने पत्र में लिखा, ‘‘पेशेवर क्रिकेटर के रूप में मुझे अपने देश का प्रतिनिधित्व करने पर गर्व है, लेकिन जब मुझे ‘नंबर 44’ पर पिछले साल घृणित हमले का पता चला तो मुझे काफी शर्म महसूस हुई।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘जानवरों के खिलाफ हिंसा पूरी तरह से अस्वीकार्य है, गैरकानूनी शब्द का जिक्र करने की जरूरत की नहीं है, हमारे देश में हाथी के साथ इस तरह का बर्ताव नहीं हो सकता। मैं आपसे विनती करता हूं कि आप नंबर 44 को प्रतिष्ठित पुनर्वास केंद्र में भेजने में मदद करें जिससे कि उसे वह देखरेख मिल सके जिसकी उसे जरूरत है, वह अपने जैसे दूसरों से घुल मिल सके और चेन, उत्पीड़न और डर के बिना जी सके।’’ 

कोहली के पत्र में बाद पेटा भारत ने राजस्थान वन विभाग के मुख्य वनजीव वार्डन को शिकायत दी जिसके बाद ‘नंबर 44’ के संरक्षक वसीद खान को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और उसे इस उत्पीड़न के लिए दोषी ठहराया गया।

नोटिस में कहा गया है कि जयपुर चिड़ियाघर के क्षेत्रीय वन अधिकारी की जांच और अमेरिकी चश्मदीदों द्वारा मुहैया कराई गई तस्वीरों से संकेत मिलते हैं कि हाथी के साथ क्रूर बर्ताव किया गया जो कई वन्य जीव संरक्षण कानूनों का उल्लंघन है।

जयपुर पुलिस ने भी हाथी के साथ दुर्व्यवहार और लोगों को खतरे में डालने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 429 और 289 के तहत अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

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