Border-Gavaskar Trophy IND vs AUS: आखिरकार टीम इंडिया को तीसरे टेस्ट मैच में हार का सामना करना पड़ा। टीम इंडिया अभी भी सीरीज में 2-1 से आगे है। भारत में जीत मेहमान टीमों के लिए दुर्लभ होती है और ऑस्ट्रेलिया के लिए भी यह अलग नहीं था, जिसने छह साल में भारतीय धरती पर अपनी पहली जीत दर्ज की।
भारत के लिए पिछले 10 वर्षों में यह केवल तीसरी हार है। टीम को नौ मार्च से अहमदाबाद में शुरू होने वाले अंतिम टेस्ट से पहले अपनी योजनाओं पर फिर से काम करने की आवश्यकता होगी। 2012-13 में कोलकाता में इंग्लैंड से हारने के बाद घरेलू टेस्ट में भारत की यह पहली हार है, जहां टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी की है। 1135 गेंद में टेस्ट मैच खत्म हो गया।
दिन की शुरुआत कुछ ऐसी रही। ऑस्ट्रेलिया को 76 रन और भारत को 10 विकेट की दरकार थी। फार्म में चल रहे ख्वाजा को दिन की दूसरी गेंद पर आर अश्विन ने आउट कर दिया। अश्विन ने थोड़ी उम्मीद जगाई, लेकिन ट्रेविस हेड (नाबाद 49) और मार्नस लाबुशेन (नाबाद 28) ने शानदार पारी खेली। टीम को जीत दिलाकर डब्ल्यूटीसी फाइनल में अपना स्थान पक्का कर लिया है।
भारत तीन दिन के अंदर घरेलू टेस्ट हार गयाः
1ः ऑस्ट्रेलिया- इंदौर 2022/23
2ः ऑस्ट्रेलिया- पुणे 2016/17
3ः दक्षिण अफ्रीका- अहमदाबाद 2007/08
4ः ऑस्ट्रेलिया- मुंबई 2000/01
5ः दक्षिण अफ्रीका- मुंबई 1999/00
6ः इंग्लैंड- कानपुर 1951/52।
सबसे छोटा घरेलू टेस्ट, जहां भारतीय टीम को हार मिलीः
1ः 1135 गेंद- ऑस्ट्रेलिया बनाम भारत इंदौर 2022/23*
2ः 1459 गेंद- इंग्लैंड बनाम भारत कानपुर 1951/52
3ः 1474 गेंद- वेस्टइंडीज बनाम भारत कोलकाता 1983/84
4ः 1476 गेंद- ऑस्ट्रेलिया बनाम भारत मुंबई 2000/01
सीरीज में इस्तेमाल हुई पिचों की भी तीखी आलोचना हुई है और यह देखाना दिलचस्प होगा कि क्या भारत स्पिन के अनुकूल पिचों की प्राथमिकता को जारी रखेगा क्योंकि घरेलू टीम के बल्लेबाज भी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटने के लिए बुरी तरह संघर्ष करते दिखे हैं। भारत अपनी दो पारियों में केवल 109 और 163 रन ही बना सका।
ऑस्ट्रेलिया टीम जिस तरह से नागपुर और दिल्ली की दूसरी पारी लड़खडायी थी उससे लग रहा था कि शुक्रवार को पहले सत्र में कुछ भी हो सकता है। जीत के लिए 76 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम को रविचंद्रन अश्विन ने दिन की दूसरी गेंद पर उस्मान ख्वाजा को कैच आउट कराकर चमत्कार की उम्मीद जगाई।
अश्विन की यह गेंद तेजी से टर्न लेते हुए ख्वाजा के बल्ले का किनारा लेते हुई विकेट कीपर कोना भरत के दस्तानों में चली गयी। स्कोर बोर्ड पर बिना किसी रन के पहला विकेट गंवाने के बाद टीम दबाव में थी लेकिन लाबुशेन ने रविंद्र जडेजा की गेंद पर चौका लगाकर दबाव कम किया।
हेड और लाबुशेन को आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाना जाता है लेकिन दोनों ने बिना कोई जोखिम लिए शुरुआती 10 ओवर में सिर्फ 13 रन बनाये। पारी के 10वें ओवर में गेंद बदलने के बाद मैच का रूख ऑस्ट्रेलिया की ओर मुड़ गया।
अश्विन इस गेंद से संतुष्ट नहीं थे और हेड ने उनके ओवर में चौका और छक्का जड़कर अपने इरादे जात दिये। हेड और लाबुशेन ने इसके बाद जडेजा के खिलाफ चौके लगाये और फिर मैच पर ऑस्ट्रेलिया की पकड़ बन गयी। लाबुशेन ने चौका लगाकर ऑस्ट्रेलिया को यादगार जीत दिलायी।