ICC World Cup 2019: बल्ले पर 'सेंसर' लगाकर उतर रहा ये ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज, जानिए क्या है वजह

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने 2017 में बल्ले पर सेंसर लगाने के लिए मंजूरी प्रदान की थी, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज को छोड़कर पिछले दो वर्षों में किसी ने इसका उपयोग नहीं किया।

By भाषा | Updated: June 9, 2019 15:48 IST2019-06-09T15:48:26+5:302019-06-09T15:48:26+5:30

ICC World Cup 2019: David Warner Using Bat 'Sensor' to Counter Opposition Threat | ICC World Cup 2019: बल्ले पर 'सेंसर' लगाकर उतर रहा ये ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज, जानिए क्या है वजह

ICC World Cup 2019: बल्ले पर 'सेंसर' लगाकर उतर रहा ये ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज, जानिए क्या है वजह

ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज डेविड वॉर्नर विश्व कप के आगे के कड़े मुकाबलों की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं और इसके लिए वह अपने बल्ले पर नए उपकरण का उपयोग कर रहे हैं, जो कि एक सेंसर है, जिसमें बैकलिफ्ट के कोण से लेकर बल्ले की अधिकतम गति जैसे आंकड़े दर्ज रहते हैं। 

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने 2017 में बल्ले पर सेंसर लगाने के लिए मंजूरी प्रदान की थी, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज को छोड़कर पिछले दो वर्षों में किसी ने इसका उपयोग नहीं किया। बेंगलुरु स्थित कंपनी ‘स्मार्ट क्रिकेट’ ने बल्ले के सेंसर के लिए एक खास चिप तैयार की है, जिसका उपयोग वॉर्नर कर रहे हैं, ताकि उन्हें जसप्रीत बुमराह जैसे गेंदबाजों का सामना करने में मदद मिले। 

सेंसर चिप बल्ले के हैंडल के ऊपर लगाई जाती है। बल्लेबाज जब तक बल्लेबाजी कर रहा होता है, तब तक के चिप जो भी आंकड़े हासिल करती है वे ‘क्लाउड स्टोरेज’ के जरिए मोबाइल ऐप में संग्रहीत हो जाते हैं। 

वॉर्नर को बल्ले के सेंसर से मिले आंकड़ों से बुमराह जैसे गेंदबाजों का सामना करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। जैसे कि बुमराह की यॉर्कर का सामना करने के लिए बल्ले की अधिकतम गति कितनी होनी चाहिए। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार बल्ले की गति 70 से 75 किमी होनी चाहिए लेकिन वॉर्नर अपने बल्ले को 85 से 90 किमी की गति से उठाने का प्रयास कर रहे हैं। 

बुमराह जैसे स्लिंगर के लिए बैकलिफ्ट का कोण लगभग 120-125 के आसपास होना चाहिए और बल्ला पहली स्लिप की तरफ से नीचे आना चाहिए लेकिन भुवनेश्वर कुमार के सामने बैकलिफ्ट विकेटकीपर की लाइन में होनी चाहिए। स्पिनरों के लिए बैकलिफ्ट का कोण न्यूनतम 160 डिग्री तथा अधिकतम 175 डिग्री होना चाहिए। 

भारत के पूर्व विकेटकीपर-बल्लेबाज दीप दासगुप्ता ने पीटीआई से कहा, ‘‘पहले कोच बैकलिफ्ट के कोण या बल्ले की गति या बल्ले और शरीर के बीच दूरी के लिए अपने नैसर्गिक कौशल का उपयोग करते थे। मेरा मानना है कि अगर सटीक आंकड़े कोच की मदद कर सकते हैं, तो इनका उपयोग किया जाना चाहिए।’’ वर्तमान में भारत का कोई भी खिलाड़ी बल्ले पर सेंसर का उपयोग नहीं कर रहा है, जो निकट भविष्य में बल्लेबाजों के लिये उपयोगी साबित हो सकता है।

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