इस खिलाड़ी ने पहले खुद जीते मेडल फिर दूसरों को जिताया, सिगरेट की वजह से ठुकराए करोड़ों रुपये

पुलेला गोपीचंद जब 10 साल के थे तब उन्हें क्रिकेट खेलना बहुत पंसद था, लेकिन उनके बड़े भाई राजशेखर ने उन्हें बैडमिंटन खेलने की सलाह दी।

By सुमित राय | Published: November 16, 2019 7:18 AM

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ठळक मुद्देपुलेला गोपीचंद का जन्म 16 नवंबर 1973 को आंध्र प्रदेश में हुआ था। गोपीचंद ने पहले अपने खेल से देश को मेडल दिलाया।फिर अपनी कोचिंग में कई खिलाड़ी तैयार किए।

पुलेला गोपीचंद का जन्म 16 नवंबर 1973 को आंध्र प्रदेश में हुआ था। पुलेला जब 10 साल के थे तब उन्हें क्रिकेट खेलना बहुत पंसद था, लेकिन उनके बड़े भाई राजशेखर ने उन्हें बैडमिंटन खेलने की सलाह दी। इसके बाद पुलेला गोपीचंद ने बैडमिंटन खेलना शुरू किया। गोपीचंद ने पहले अपने खेल से देश को मेडल दिलाया और फिर अपनी कोचिंग में कई खिलाड़ी तैयार किए।

कोला-सिगरेट की वजह से ठुकराए करोड़ों रुपये

पुलेला गोपीचंद को कोकाकोला ने करोड़ों रुपये के विज्ञापन का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था। गोपीचंद का कहना था कि सॉफ्ट ड्रिंक्स से सेहत पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए वो ये विज्ञापन नहीं करेंगे। इसके अलावा गोपीचंद को एक सिरगरेट ब्रांड के विज्ञापन का ऑफर मिला, जिसे उन्होंने स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताकर ऐड करने से मना कर दिया था।

ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन जीतने वाले दूसरे खिलाड़ी

पुलेला गोपीचंद प्रतिष्ठित ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं। उन्होंने 2001 में चीन के चेन होंग को फाइनल में 15-12,15-6 से हराकर ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप में जीत हासिल करके यह खिताब अपने नाम किया था। इससे पहले यह खिताब साल 1980 में प्रकाश पादुकोण ने जीता था।

गहने बेचकर खरीदा था बैडमिंटन रैकेट

गोपीचंद को एक अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ा था। बैडमिंटन रैकेट खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं हुआ करते थे। उनको अपना पहला बैडमिंटन रैकेट खरीदने के लिए अपने घर के गहने बेचने पड़े थे। बार-बार घायल होने की वजह से भी गोपीचंद के अच्छा बैडमिंटन खिलाड़ी बनने का सपना कई बार टूटा, लेकिन गोपीचंद ने अपने जिदगी में कभी हार नहीं मानी। मेहनत और निष्ठा से हर समस्या को दरकिनार करते हुए आगे बढ़े।

पहले खुद जीते मेडल फिर दूसरों को जिताया

साल 2003 में बैडमिंटन से संन्यास लेने के बाद गोपीचंद ने हैदराबाद में पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी की शुरूआत की। जिसने भारत को साइना नेहवाल, पीवी सिंधु और किदांबी श्रीकांत जैसे बेहतरीन खिलाड़ी दिए। लंदन ओलम्पिक 2012 में सायना नेहवाल ने गोपीचंद के नेतृत्व में कांस्य पदक जीता था। वहीं रियो ओलम्पिक में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने रजत पदक हासिल किया था।

पुलेला गोपीचंद को मिले अवॉर्ड

पुलेला गोपीचंद को उनके बेहतरीन खेल और भारतीय बैडमिंटन टीम की कोचिंग के लिए कई अवॉर्ड मिल चुका हैं। गोपीचंद को साल 1999 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। साल 2001 में गोपी को राजीव गांधा खेल रत्न और 2005 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। पुलेला को उनके बेहतरीन कोचिंग के लिए साल 2009 में दोणाचार्य और 2014 में पद्म भूषण दिया गया था।

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