इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2020 का आयोजन अगले महीने से यूएई में होना है। लेकिन इस लीग के आयोजन से पहले बीसीसीआईद्वारा चीनी कंपनियों के साथ स्पॉन्सरशिप डील जारी रखने के फैसला का कड़ा विरोध शुरू हो गया है।
आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की रविवार को हुई बैठक में चीनी मोबाइल कंपनी वीवो के साथ टाइटल स्पॉन्सशिप समेत अन्य चीनी कंपनियों के साथ करार जारी रखने का फैसला लिया गया था।
वीवो के साथ आईपीएल का करार जारी रखने का फैसला, ट्रेंड हुआ चाइनीज प्रीमियर लीग
बीसीसीआई के इस फैसला का विराध इतना जोरदार रहा कि मंगलवार को सोशल मीडिया पर चाइनीज प्रीमियर लीग (#ChinesePremierLeague) टॉप ट्रेंड्स में शामिल हो गया।
जून में लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओँ के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद से ही भारत सरकार चीनी कंपनियों से नाता तोड़ने में लगी है। इसी के तहत में देश में 59 चीनी ऐप पर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए उन्हें प्रतिबंधित कर दिया गया था।
बीसीसीआई ने तब कहा था कि वह आईपीएल के वीवो के साथ टाइटल स्पॉन्सरशिप डील को लेकर समीक्षा करेगा, लेकिन हाल ही में हुई बोर्ड की बैठक में वीवो के साथ करार को जारी रखने का फैसला किया गया।
वीवो का आईपीएल के साथ 2022 तक 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का करार
चीन की मोबाइल फोन कंपनी वीवो आईपीएल की टाइटल प्रायोजक है और 2022 तक चलने वाले करार के तहत वह प्रत्येक साल भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) को 440 करोड़ रुपये देती है।
आईपीएल से जुड़ी कंपनियों पेटीएम, स्विगी और ड्रीम इलेवन में भी चीन की कंपनियों का निवेश है। सिर्फ आईपीएल नहीं बल्कि टीमों को भी चीन की कंपनियां प्रायोजित करती हैं।