Bishan Singh Bedi: पाकिस्तान के तेज गेंदबाज नवाज ने लगातार चार बाउंसर किए और अंपायर ने एक भी वाइड नहीं दिया, विरोध में बेदी ने बल्लेबाजों को वापस बुलाया...

Bishan Singh Bedi Passed Away: दुनिया के सबसे लोकप्रिय क्रिकेटरों में से एक बेदी का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को 77 साल की उम्र में निधन हो गया। 

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 23, 2023 05:39 PM2023-10-23T17:39:53+5:302023-10-23T17:40:36+5:30

Bishan Singh Bedi Passed Away pak vs ind Pakistan fast bowler Sarfaraz Nawaz bowled four consecutive bouncers and umpire did not give single wide called batsmen back in protest | Bishan Singh Bedi: पाकिस्तान के तेज गेंदबाज नवाज ने लगातार चार बाउंसर किए और अंपायर ने एक भी वाइड नहीं दिया, विरोध में बेदी ने बल्लेबाजों को वापस बुलाया...

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Highlightsकिंग्सटन में भारत की दूसरी पारी समाप्त घोषित करने के कारण भी चर्चा में रहे थे।टीम के जीत के करीब होने के बावजूद गलत अंपायरिंग का विरोध करके मैच गंवा दिया था। साहिवाल में खेले जा रहे वनडे मैच में 14 गेंद पर 23 रन की जरूरत थी और उसके 8 विकेट बचे हुए थे।

Bishan Singh Bedi Passed Away: अपनी आर्म बॉल से लेकर फ्लाइट लेती गेंदों से दुनिया भर के बल्लेबाजों को चकमा देने वाले बिशन सिंह बेदी भारतीय स्पिन चौकड़ी की वह अबूझ पहेली थे, जो अपने फैसलों और बेबाक टिप्पणियों के कारण विवादों में भी रहे। दुनिया के सबसे लोकप्रिय क्रिकेटरों में से एक बेदी का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को 77 साल की उम्र में निधन हो गया।

बेदी का विवादों से भी पुराना नाता रहा है। अपनी बेबाक टिप्पणियों के कारण वह जब तब विवादों में भी फंसते रहे। वह 1976-77 में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जान लीवर के वैसलीन का उपयोग करने पर आपत्ति जताने और 1976 में वेस्टइंडीज की खौफनाक गेंदबाजी के कारण किंग्सटन में भारत की दूसरी पारी समाप्त घोषित करने के कारण भी चर्चा में रहे थे।

बेदी दुनिया के ऐसे पहले कप्तान थे जिन्होंने टीम के जीत के करीब होने के बावजूद गलत अंपायरिंग का विरोध करके मैच गंवा दिया था। यह नवंबर 1978 की घटना है जब भारत को पाकिस्तान के खिलाफ साहिवाल में खेले जा रहे वनडे मैच में 14 गेंद पर 23 रन की जरूरत थी और उसके 8 विकेट बचे हुए थे।

पाकिस्तान के तेज गेंदबाज सरफराज नवाज ने तब लगातार चार बाउंसर किये और अंपायर ने उनमें से एक को भी वाइड करार नहीं दिया। इसके विरोध में बेदी ने अपने बल्लेबाजों को वापस बुला दिया था। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) और दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) भी उनके निशाने पर रहे।

उन्होंने फिरोजशाह कोटला स्टेडियम का नाम बदलकर अरुण जेटली स्टेडियम करने का भी पुरजोर विरोध किया था। इसके साथ ही विश्व क्रिकेट ने एक ऐसे सितारे को अलविदा कह दिया जिसने कई दशक तक भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ाने में अपना अमूल्य योगदान दिया। बेदी का जन्म 25 सितंबर 1946 को पंजाब के अमृतसर शहर में हुआ था।

वह भारत की उस स्पिन चौकड़ी का हिस्सा थे जिसमें उनके अलावा इरापल्ली प्रसन्ना, भागवत चंद्रशेखर और श्रीनिवास वेंकटराघवन शामिल थे। बेदी ने लगभग 12 साल तक भारतीय गेंदबाजी का जिम्मा संभाला। यह बेहद कलात्मक बायें हाथ का स्पिनर अपनी पीढ़ी के बल्लेबाजों के लिये हमेशा अबूझ पहेली बना रहा। वह गेंद को जितना संभव हो उतनी ऊंचाई से छोड़ते थे और उनका नियंत्रण गजब का था।

बेदी ने टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण 31 दिसंबर 1966 को वेस्टइंडीज के खिलाफ कोलकाता के ईडन गार्डन्स में किया था और वह 1979 तक भारतीय टीम का हिस्सा रहे। उन्होंने इस बीच 67 टेस्ट मैच खेले जिनमें 28.71 की औसत से 266 विकेट लिये। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में बेदी के नाम पर 1560 विकेट दर्ज हैं।

बेदी 22 मैचों में भारत के कप्तान भी रहे जिनमें से छह में भारतीय टीम ने जीत दर्ज की। क्रिकेट संन्यास लेने के बाद बेदी भारतीय टीम के कोच और राष्ट्रीय चयनकर्ता भी रहे। बेदी 1990 में न्यूजीलैंड और इंग्लैंड दौरे के दौरान कुछ समय के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर थे। वह मनिंदर सिंह और मुरली कार्तिक जैसे कई प्रतिभाशाली स्पिनरों के गुरु भी थे।

बाएं हाथ के स्पिनर बेदी  स्पिन की हर कला जानते थे। चाहे वह तेजी में बदलाव हो या वैरीएशन। उनकी फ्लाइट, आर्म बाल और अचानक से की गई तेज गेंद पर बल्लेबाज चकमा खा बैठते थे। विश्व क्रिकेट में जब भी आर्म बॉल का जिक्र आएगा तब जेहन में पहला नाम बिशन सिंह बेदी का होगा, जिन्होंने बाएं हाथ के स्पिनरों की गुगली कही जाने वाली इस गेंद को नया जीवन दिया था।

बेदी ने अपनी आर्मर से दुनिया के कई दिग्गज बल्लेबाजों को चकमे में डाला। यदि यह रिकार्ड भी रखा जाता कि एक गेंदबाज ने किस तरह की गेंद पर सर्वाधिक विकेट लिये तो निश्चित तौर पर आर्म बॉल के मामले में बेदी बाजी मार जाते। जब भी कोई बल्लेबाज उन पर हावी होने की कोशिश करता था तब वह आर्मर का उपयोग करते थे। ऐसा नहीं कि उन्हें हर बार आर्म बॉल करने पर सफलता ही मिलती थी।

लेकिन इस गेंद ने उन्हें कई अवसरों पर विकेट दिलाये। बेदी ने 15 साल की उम्र में उत्तरी पंजाब की तरफ से 1961-62 में रणजी ट्राफी में पदार्पण किया और बाद में वह दिल्ली की तरफ खेले। विकेट निकालने में वह माहिर थे और इसलिए कभी उनका तीर खाली नहीं जाता था। एक समय नार्थम्पटनशर को उन्होंने काउंटी क्रिकेट में खासी सफलता दिलायी थी।

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