Highlightsशारजाह में खेला गया था भारत और पाकिस्तान के बीच ये दिलचस्प मैचपाकिस्तान को इस मैच में एक विकेट से मिली थी जीत, मियांदाद ने लगाया था शतकचेतन शर्मा कई सालों तक इस छक्के का जिक्र आने पर हो जाते थे परेशान
नई दिल्ली, 18 अप्रैल: खेल चाहे कोई भी हो लेकिन जब भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने होती हैं, तो हर मुकाबला पीछे छूट जाता है। खासकर, बात जब क्रिकेट की हो फिर कहना ही क्या। वैसे भी भारत और पाकिस्तान के बीच दुनिया ने कई दिलचस्प और सांसें रोक देने वाले मैच देखे हैं। कभी बाजी भारत के हाथ में गई तो कभी पाकिस्तान ने जीत हासिल की।
ऐसा ही एक मैच 32 साल पहले 18 अप्रैल, 1986 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ जिसे न कोई भारतीय फैन भुल सका है और न ही कभी कोई पाकिस्तानी फैन भूल सकेगा।
चेतन शर्मा की आखिरी गेंद और मियांदाद का छक्का
ऑस्ट्रेल-एशिया कप का फाइनल शारजाह में खेला जा रहा था और भारत ने पहले बैटिंग करते हुए सात विकेट खोकर 245 रन बनाए। भारत की ओर से पहले तीन बल्लेबाजों कृष्णमाचारी श्रीकांत (75), सुनील गावस्कर (92) और दिलीप वेंगसरकर (50) ने शानदार पारियां खेली। खिताबी मुकाबले में जब पाकिस्तानी टीम लक्ष्य का पीछा करने उतरी तो उसकी शुरुआत खराब रही। पाकिस्तान ने पहले तीन विकेट 61 रनों पर गंवा दिए थे। इसके बाद जावेद मियांदाद (116 नाबाद) ने कमान संभाली और अकेले दम पर पाकिस्तान को एक विकेट से जीत दिला दी।
मियांदाद ने आखिरी गेंद पर लगाया छक्का
पाकिस्तान को आखिरी गेंद पर जीत के लिए 4 रनों की जरूरत थी और उसके 9 विकेट गिर चुके थे। गेंदबाजी का जिम्मा चेतन शर्मा संभाल रहे थे जो उस मैच में तीन विकेट निकाल चुके थे। शर्मा भी मामले की नजाकत समझ रहे थे और उन्होंने यॉर्कर लेंथ गेंद डालने की कोशिश की पर ये फुलटॉस चली गई। मियांदाद ने ये मौका नहीं गंवाया और गेंद को 6 रनों के लिए बाउंड्री के पार पहुंचा दिया।
चेतन शर्मा को कई सालों तक सताता रहा वो छक्का
उस मैच के कई साल बाद तक और यहां तक कि आज भी चेतन शर्मा कई बार अपने अलग-अलग इंटरव्यू में ये स्वीकार कर चुके हैं कि वह लम्हा आज भी वे नहीं भूले हैं। शर्मा यह भी कह चुके हैं कि कई बार उन्होंने उस छक्के को भूलाने की कोशिश की लेकिन लोगों ने उन्हें भूलने नहीं दिया और बार-बार चर्चा में यह बात आती रही।
मियांदाद ने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'कटिंग एज- माई ऑटोबायोग्राफी' में भी उस छक्के का जिक्र किया है। मियांदाद ने अपनी किताब में लिखा, 'मैं जानता था कि वह यॉर्कर डालने की कोशिश करेंगे इसलिए मैंने क्रीज पर खड़े रहकर गेंद को खेलने का फैसला किया....बेचारे चेतन शर्मा।'