अजीत वाडेकर ने दिया था सचिन तेंदुलकर को 'वह मौका', जिसने बना दिया उन्हें वनडे का सबसे कामयाब बल्लेबाज

Ajit Wadekar and Sachin Tendulkar: पूर्व कप्तान अजीत वाडेकर ने ही सचिन तेंदुलकर को वनडे क्रिकेट में ओपनर बनाने का फैसला किया था

By अभिषेक पाण्डेय | Published: August 16, 2018 11:20 AM2018-08-16T11:20:42+5:302018-08-16T11:21:46+5:30

Ajit Wadekar was behind the decision to make Sachin Tendulkar an ODI Opener | अजीत वाडेकर ने दिया था सचिन तेंदुलकर को 'वह मौका', जिसने बना दिया उन्हें वनडे का सबसे कामयाब बल्लेबाज

सचिन तेंदुलकर और अजीत वाडेकर

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नई दिल्ली, 16 अगस्त: भारतीय क्रिकेट टीम के महान कप्तान रहे अजीत वाडेकर का 77 वर्ष की उम्र में बुधवार को मुंबई में निधन हो गया। वाडेकर की कप्तानी में ही भारत ने 1971 में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज की धरती पर पहली बार टेस्ट सीरीज जीती थी। अपने टेस्ट करियर में 37 मैचों में 2113 रन बनाने वाले वाडेकर न सिर्फ एक बेहतरीन कप्तान थे बल्कि एक आक्रामक बल्लेबाज भी थे। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वह भारतीय टीम के मैनेजर और चयन समिति के प्रमुख भी रहे। 

भारतीय टीम के मैनेजर के तौर पर अजीत वाडेकर के एक फैसले को हमेशा याद रखा जाएगा। इस एक फैसले ने आने वाले वर्षों में भारतीय क्रिकेट की दिशा और दशा दोनों बदल दी और क्रिकेट इतिहास के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज को जन्म दिया। ये फैसला था सचिन तेंदुलकर को वनडे क्रिकेट में ओपनिंग कराने का, जिसके बाद सचिन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 49 वनडे शतक जड़ते हुए अपने करियर में 18000 से ज्यादा वनडे रन बनाए। 

सचिन को ओपनर बनाकर बदली भारतीय क्रिकेट की दिशा

1994 में भारतीय टीम न्यूजीलैंड के दौरे पर थी। टीम के नियमित ओपनर नवजोत सिंह सिद्धू अचानक चोटिल हो गए और 27 मार्च 1994 को ऑकलैंड में खेले गए वनडे में भारत के सामने अजय जडेजा के साथ पारी की शुरुआत करने वाले दूसरे ओपनर का संकट खड़ा हो गया। ऐसे में टीम के मैनेजर अजीत वाडेकर और कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने 21 साल के युवा बल्लेबाज सचिन को ये जिम्मेदारी सौंपी और इसके बाद सचिन का करियर नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया। 

सचिन ने उस मैच में जीत के मिले 143 रन के लक्ष्य के सामने पहली बार वनडे में ओपनिंग करते हुए महज 49 गेंदों में 82 रन की ताबड़तोड़ पारी खेलते हुए एक धमाकेदार बल्लेबाज के आगाज का संदेश दे दिया। तेंदुलकर की इस तूफानी पारी में 15 चौके और 2 छक्के भी शामिल थे। भारत ने उस मैच में 7 विकेट से आसान जीत हासिल की।

तेंदुलकर ने अपनी बायोग्राफी 'प्लेइंग इट माइ वे' में खुद के ओपनर बनने की कहानी बयां की है। सचिन ने लिखा है, 'मैं ओपनर के तौर पर खेलने की अनुमति लेने के लिए अजहर और मैनेजर अजीत वाडेकर के पास गया, जो एक पूर्व कप्तान और अपने समय के बेहतरीन बल्लेबाज थे। मैंने ओपनिंग के बारे में क्यों सोचा? मेरे पास गेंदबाजों पर आक्रमण करने की काबिलियत और आक्रामक शॉट खेलने की क्षमता थी। वनडे में पहले 15 ओवरों में फील्डिंग के प्रतिबंधों का फायदा उठाना महत्वपूर्ण था।'   

सचिन ने लिखा है, 'मैं निश्चित था कि मुझे खुद को साबित करने का एक मौका मिले। मैंने वाडेकर सर से कहा था कि अगर मैं असफल हुआ तो फिर कभी ओपनिंग के लिए नहीं कहूंगा। उस समय कोई रिजर्व ओपनर भी नहीं था और उनके पास नियमित ओपनर सिद्धू की जगह उतारने के लिए अनियमित ओपनर के अलावा कोई विकल्प नहीं था। अगर वे मुझे टॉप में उतारते तो उन्हें मिडिल ऑर्डर में चौथे और पांचवें नंबर पर किसी बल्लेबाज की जरूरत होगी। आखिर में काफी मान-मनौव्वल के बाद वह मुझे ओपनर बनाने पर राजी हुए।'

लेकिन आखिर में वाडेकर का सचिन पर जताया ये भरोसा सही साबित हुआ और सचिन ने ओपनर के तौर पर अपने करियर में 45 शतक जड़े (कुल 49 शतक) और 18000 से ज्यादा रन बनाते हुए वनडे के सबसे कामयाब बल्लेबाज साबित हुए।

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