भारत में काम बंद कर पाकिस्तान ट्रांसफर होने के दावे को Xiaomi ने किया खारिज, ट्वीट कर कही ये बात
By मनाली रस्तोगी | Published: October 7, 2022 03:33 PM2022-10-07T15:33:55+5:302022-10-07T15:35:30+5:30
चीन की स्मार्टफोन कंपनी शाओमी ने ट्वीट कर कहा कि शाओमी ने 2014 में भारत में प्रवेश किया और एक साल से भी कम समय में हमने अपनी मेक इन इंडिया यात्रा शुरू की। हमारे 99 प्रतिशत स्मार्टफोन और हमारे 100 प्रतिशत टीवी भारत में बने हैं।
नई दिल्ली:चीन की स्मार्टफोन कंपनी शाओमी ने प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई के बीच भारत से पाकिस्तान में अपने संचालन को स्थानांतरित करने की अटकलों को खारिज कर दिया है। इस साल की शुरुआत में भारत सरकार ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) नियमों का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए शाओमी की 5,551.27 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी।
दरअसल, साउथ चाइना इंडेक्स ने ट्वीट करते हुए ये दावा किया था कि भारतीय सरकार द्वारा 676 मिलियन डॉलर की संपत्ति को फ्रीज करने के बाद चीनी मोबाइल निर्माता शाओमी भारत से पाकिस्तान में अपना परिचालन स्थानांतरित कर सकती है। ये टदावा गुरुवार को किया गया था। वहीं, शाओमी ने शुक्रवार को इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है।
This tweet is completely false & baseless. Xiaomi entered India in 2014 & in less than a year, we embarked on our Make in India journey.
— Xiaomi India (@XiaomiIndia) October 7, 2022
99% of our smartphones & 100% of our TVs are made in India. We'll take all measures to protect our reputation from false & inaccurate claims.
कंपनी ने ट्वीट कर लिखा, "यह ट्वीट पूरी तरह से झूठा और निराधार है। शाओमी ने 2014 में भारत में प्रवेश किया और एक साल से भी कम समय में हमने अपनी मेक इन इंडिया यात्रा शुरू की। हमारे 99 प्रतिशत स्मार्टफोन और हमारे 100 प्रतिशत टीवी भारत में बने हैं। हम अपनी प्रतिष्ठा को झूठे और गलत दावों से बचाने के लिए सभी उपाय करेंगे।"
चीन की स्मार्टफोन कंपनी शाओमी ने शुक्रवार को फिर से कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, फेमा सक्षम प्राधिकारी के 29 सितंबर के आदेश को चुनौती दी, जिसने ईडी की संपत्ति को जब्त करने के 29 अप्रैल के आदेश की पुष्टि की थी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने कथित रूप से फेमा नियमों का उल्लंघन करने और भारत से बाहर तीन कंपनियों को रॉयल्टी की आड़ में धन हस्तांतरित करने के लिए संपत्ति की जब्ती का आदेश दिया था।