प्रवासी भारतीय कामगारों ने इस साल देश में भेजे रिकॉर्ड 10 हजार करोड़ डॉलर, वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में खुलासा, 12 प्रतिशत का इजाफा

By विनीत कुमार | Published: December 5, 2022 09:13 AM2022-12-05T09:13:05+5:302022-12-05T09:23:05+5:30

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल बाहर काम कर रहे भारतीय कामगारों ने भारत में रिकॉर्ड 100 बिलियन डॉलर भेजे हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत सबसे अधिक रेमिटेंस प्राप्तकर्ता है।

World Banks report reveals Indian migrant workers send record 100usd billion in 2022 | प्रवासी भारतीय कामगारों ने इस साल देश में भेजे रिकॉर्ड 10 हजार करोड़ डॉलर, वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में खुलासा, 12 प्रतिशत का इजाफा

प्रवासी भारतीय जम कर भेज रहे हैं पैसा, वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में खुलासा (फाइल फोटो)

Highlightsभारत में अपने प्रवासी श्रमिकों से आने वाले धन में 12 प्रतिशत का इस साल इजाफा हुआ है, विश्व बैंक की रिपोर्ट। इससे पहले 2021 में यह रेमिटेंस ग्रोथ 7.5 फीसदी था, भारत दुनिया का शीर्ष प्राप्तकर्ता बना हुआ है।

सिंगापुर: विश्व बैंक की पिछले हफ्ते प्रकाशित रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि भारत में अपने प्रवासी श्रमिकों से आने वाले धन में 12 प्रतिशत का इस साल इजाफा हुआ है और यह रिकॉर्ड 100 बिलियन अमरीकी डालर (10 हजार करोड़ डॉलर) तक पहुंच गया है। इससे पहले 2021 में यह रेमिटेंस ग्रोथ 7.5 फीसदी था।

भारत आने वाले पैसे मेक्सिको (60 बिलियन अमेरिकी डॉलर), चीन (51 डॉलर बिलियन), फिलीपींस (38 बिलियन डॉलर), मिस्र (32 बिलियन डॉलर) और पाकिस्तान (29 बिलियन डॉलर) से बहुत आगे है। ऐसे में भारत दुनिया के शीर्ष प्राप्तकर्ता के रूप में अपना स्थान बनाए रखने में सफल रहा है। इस तरह से विदेश से आने वाला धन भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3 प्रतिशत हैं।

क्षेत्रीय स्तर पर, दक्षिण एशिया में प्रेषण (रेमिटेंस) 2022 में अनुमानित 3.5 प्रतिशत बढ़कर 163 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। हालांकि, इस क्षेत्र में रेमिटेंस हासिल करने वाले देशों में बड़ी असमानता है। भारत में जहां बाहर से आने वाले पैसों में 12 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है, तो वहीं नेपाल में केवल 4 प्रतिशत की वृद्धि है। अन्य देशों (श्रीलंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित) में लगभग 10 प्रतिशत की कुल गिरावट देखने को मिल सकती है।

प्रवासी भारतीय कामगार क्यों भेज रहे हैं ज्यादा पैसे?

भारत से बाहर काम कर रहे प्रवासियों की ओर से स्वदेश में पैसे भेजे जाने में जबर्दस्त वृद्धि को लेकर जानकारी कई वजहें मानते हैं।

इसमें एक अहम वजह भारतीय के खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों में बड़े पैमाने पर कम-कुशल, अनौपचारिक रोजगार की बजाय अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम जैसे उच्च आय वाले देशों की ओर रूझान है। कई एशिया-प्रशांत देश जैसे सिंगापुर, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी भारतीयों के जाने की संख्या बढ़ी है। 

2016-17 और 2020-21 के बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर से प्रवासियों की ओर से आने वाले धन का हिस्सा 26 प्रतिशत से बढ़कर 36 प्रतिशत से अधिक हो गया, जबकि 5 जीसीसी देशों (सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान और कतर) से यह 54 से घटकर 28 प्रतिशत तक आ गया।

कुल रेमिटेंस के 23 प्रतिशत हिस्से के साथ अमेरिका ने 2020-21 में शीर्ष स्रोत देश के रूप में संयुक्त अरब अमीरात को पीछे छोड़ दिया। भारत के लगभग 20 प्रतिशत प्रवासी अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में हैं। 

दूसरी वजह कोरोना का असर कम होने के बाद 2022 में ज्यादातर भारतीयों के वापस खाड़ी देशों और अन्य जगहों पर लौटना भी रहा। खाड़ी के अधिकांश भारतीय प्रवासी ब्लू-कॉलर कामगार हैं जो महामारी के दौरान घर लौट आए थे। टीकाकरण और यात्रा की बहाली ने उनके लिए फिर से काम पर लौटने में मदद की। प्रवासी भारतीयों की बदौलत खाड़ी देशों से करीब 30 प्रतिशत रेमिटेंस आता है। 

जानकारों के अनुसार तीसरी अहम वजह ये भी रही होगी कि भारतीय प्रवासियों ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के गिरावट (जनवरी और सितंबर 2022 के बीच 10 प्रतिशत) का फायदा उठाते हुए पैसे के प्रवाह को और बढ़ा दिया।

Web Title: World Banks report reveals Indian migrant workers send record 100usd billion in 2022

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