न्यायालय से स्थगन के अभाव में एफआरएल-रिलायंस सौदे में एकल न्यायाधीश का आदेश लागू करेंगे: अदालत
By भाषा | Updated: August 17, 2021 19:03 IST2021-08-17T19:03:00+5:302021-08-17T19:03:00+5:30

न्यायालय से स्थगन के अभाव में एफआरएल-रिलायंस सौदे में एकल न्यायाधीश का आदेश लागू करेंगे: अदालत
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि अगर चार सप्ताह के भीतर उच्चतम न्यायालय से कोई स्थगन नहीं मिलता है, तो वह फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) को रिलायंस रिटेल के साथ हुए सौदे में आगे बढ़ने से रोकने वाले एकल न्यायधीश के आदेश को लागू करेगा। एफआरएल ने 24,713 करोड़ रुपये में अपना कारोबार रिलायंस रिटेल को बेचने के लिए एक सौदा किया है, जिस पर अमेरिकी ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन ने आपत्ति जताई है। सिंगापुर की आपातकालीन मध्यस्थता अदालत (ईए) द्वारा एफआरएल को सौदे पर आगे बढ़ने से रोकने वाले आदेश को लागू कराने के लिए अमेजन की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने कहा कि शीर्ष अदालत से कोई स्थगन नहीं होने पर उनके समक्ष न्यायमूर्ति जे आर मिधा द्वारा 18 मार्च को पारित आदेश लागू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘या तो 18 मार्च के आदेश पर 2-3 सप्ताह के भीतर स्थगन प्राप्त करें या आदेश का पालन करें। इस अदालत के पास कोई तीसरा विकल्प नहीं है।’’ अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 17 सितंबर को सूचीबद्ध करते हुए कहा, ‘‘मैं यह स्पष्ट करता हूं कि यदि प्रतिवादियों को सुनवाई की अगली तारीख से पहले कोई स्थगन आदेश नहीं मिलता है, तो यह अदालत मामले में आगे बढ़ते हुये 18 मार्च 2021 के आदेश को लागू करेगी।’’ फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड (एफसीपीएल) और अन्य संबंधित पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने कहा कि 18 मार्च के आदेश के खिलाफ उनके मुवक्किलों द्वारा पहले ही उच्चतम न्यायालय में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की जा चुकी है। एफआरएल का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खंबाटा ने कहा कि उनके मुवक्किल ने मध्यस्थता न्यायाधिकरण के समक्ष एक आवेदन दिया है और शीर्ष अदालत के समक्ष अपील भी की जाएगी। अदालत ने कहा, ‘‘सिर्फ एसएलपी दाखिल करने से आपको मदद नहीं मिलेगी। आप स्थगन आदेश हासिल कीजिए। अन्यथा, मेरे पास केवल एक ही विकल्प है कि मैं आदेश को लागू करवाऊं।’’ अमेजन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने दलील दी कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के मद्देनजर न्यायमूर्ति मिधा का आदेश प्रभावी है और इसका पालन किया जाना चाहिए।
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