लखनऊः बीते लोकसभा चुनावों के दौरान प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू करने को लेकर योगी सरकार की सख्ती का राज्य में सरकार नुकसान उढ़ाना पड़ा. चुनाव के बाद योगी सरकार को जब यह अहसास हुआ तो सूबे में पुरानी पेंशन की मांग को लेकर करीब आठ साल से चल रहे अलग आंदोलनों के बीच सरकार ने 60 हजार शिक्षको के लिए नई या पुरानी में कोई एक पेंशन चुनने का रास्ता निकाल लिया. इस संबंध में सरकार ने आदेश जारी कर दिया है, अब शिक्षकों की ओर से भरा गया यह विकल्प अंतिम होगा. इसके बाद शिक्षक अपने प्रस्ताव में कोई बदलाव नहीं कर सकेंगे. जो शिक्षक पुरानी पेंशन लेने का विकल्प भरेंगे उनको पुरानी पेंशन के सभी लाभ दिए जाएंगे.
शिक्षकों और विपक्ष ने बनाया था मुद्दा
योगी सरकार के इस फैसले को लेकर यह कहा जा रहा है, प्रदेश सरकार ने लोकसभा चुनाव में मिली हार बाद के पुरानी पेंशन को बहाल करने का दांव चला है. सरकार को उम्मीद है कि राज्य में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव में इसका लाभ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवारों को मिल सकता है क्योंकि सरकार के इस फैसले से नाराज शिक्षक अब सरकार का विरोध करना बंद कर देंगे.
उल्लेखनीय है कि देश के अन्य राज्यों की तरह ही यूपी में बीते आठ वर्षों ने पुरानी पेंशन की मांग बड़ा मुद्दा बन हुई थी. बीते लोकसभा चुनावों में भी विपक्ष ने इसे अपने घोषणापत्र का हिस्सा बनाया था. यूपी में सरकारी कर्मचारी और शिक्षक पुरानी पेंशन योजना लागू करने को लेकर योगी सरकार पर दबाव बनाने में लगे थे.
इनमें वह 60 हजार शिक्षक भी शामिल थे, जिनकी नियुक्ति तो 2006 में हुई थी, लेकिन इसका विज्ञापन नई पेंशन की अधिसूचना जारी होने के पहले निकला था. इसलिए वह विज्ञापन के आधार पर लगातार पुरानी पेंशन में शामिल किए जाने की मांग कर रहे थे. इन 60 हजार शिक्षकों में विशिष्ट बीटीसी और अन्य भर्तियों के जरिए चयनित शिक्षक और कर्मचारी हैं.
यूपी में नई पेंशन स्कीम 1 अप्रैल 2005 से लागू की गई थी. इसके लिए अधिसूचना 28 मार्च 2005 को लागू हो गई थी. इन शिक्षकों का कहना था कि उनकी भर्ती प्रक्रिया नई पेंशन की अधिसूचना जारी होने के पहले शुरू हो चुकी थी, इसलिए उन्हे पुरानी पेंशन योजना का विकल्प चुनने का अधिकार मिले.
योगी सरकार ने अब शिक्षकों की मांग मान ली है. वित्त विभाग ने इसका आदेश जारी कर शिक्षकों को विकल्प भरने के लिए कह दिया है. सरकार के इस फैसले से शिक्षक खुश हैं. उनका कहना है कि देर से ही सही योगी सरकार ने अब न्यायोचित फैसला किया है.