Union Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपना लगातार सातवां बजट पेश करेंगी। हर साल बजट पर पूरे देश की नजर रहती है। जब भी बजट पेश किया जाता है तब सबकी नजर इनकम टैक्स स्लैब पर रहती है। राजस्व उत्पन्न करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार कई तरह के टैक्स लगाती हैं जिनमें केंद्र द्वारा लगाया जाने वाला इनकम टैक्स यानी कि आयकर सबसे अहम है। भारत में कराधान को मोटे तौर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में वर्गीकृत किया गया है। इनकम टैक्स डायरेक्ट टैक्स यानी कि प्रत्यक्ष कर की श्रेणी में आता है। प्रत्यक्ष कर सीधे व्यक्तियों या संस्थाओं पर लगाए जाते हैं, जबकि अप्रत्यक्ष कर उत्पादों और सेवाओं पर लगाए जाते हैं, जो अंततः उपभोक्ताओं को देना होता है।
हाल ही में, आयकर (I-T) विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह का डेटा जारी किया। इसमें उल्लेख किया गया है कि 11 जुलाई, 2024 तक संग्रह बढ़कर 5.74 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 19.54% अधिक है। वहीं प्रत्यक्ष कर का सकल संग्रह बढ़कर 6.45 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो लगभग 23.24% की छलांग है।कॉर्पोरेट कर, आयकर और प्रतिभूति कर भी प्रत्यक्ष कर की श्रेणी में आते हैं।
वहीं अप्रत्यक्ष कर एक प्रकार का कर है जो किसी व्यक्ति द्वारा मध्यस्थ के माध्यम से सरकार को भुगतान किया जाता है। फिर मध्यस्थ कर भुगतान को सरकार को हस्तांतरित करता है। भारत में, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) अप्रत्यक्ष करों की देखरेख के लिए जिम्मेदार शासी निकाय है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के समान, सीबीआईसी राजस्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में कार्य करता है।
अब वित्त मंत्रालय ने हर महीने की पहली तारीख को विस्तृत जीएसटी संग्रह डेटा जारी करना बंद कर दिया है। लेकिन वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार जून में सकल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह साल-दर-साल 7.7 प्रतिशत बढ़कर 1.74 लाख करोड़ रुपये हो गया। इस वित्तीय वर्ष (अप्रैल-जून) में अब तक सकल जीएसटी संग्रह 5.57 लाख करोड़ रुपये रहा। सरकार ने मई 2024 में सकल जीएसटी के रूप में 1.73 लाख करोड़ रुपये और जून 2023 में 1.61 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए थे।