टाटा-मिस्त्री मामले में कंपनी के संविधान को छेड़ने वाला एनसीएलएटी का आदेश सही नहीं: न्यायालय

By भाषा | Updated: March 26, 2021 22:59 IST2021-03-26T22:59:56+5:302021-03-26T22:59:56+5:30

The NCLAT order that violates the company's constitution in the Tata-Mistry case is not correct: Court | टाटा-मिस्त्री मामले में कंपनी के संविधान को छेड़ने वाला एनसीएलएटी का आदेश सही नहीं: न्यायालय

टाटा-मिस्त्री मामले में कंपनी के संविधान को छेड़ने वाला एनसीएलएटी का आदेश सही नहीं: न्यायालय

नयी दिल्ली, 26 मार्च उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) का टाटा संस के संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत उपलब्ध अधिकारों से ‘छेड़छाड़’ का आदेश ‘पूर्णरूपेण तर्कहीन’ है।

यह अनुच्छेद कंपनी के सामान्य शेयरों के स्थानांतरण के अधिकार से संबंधित है।

एनसीएलएटी ने अपने 18 दिसंबर, 2019 के आदेश में कंपनी और उसके निदेशकों तथा शेयरधारकों पर अल्पांश वाले सदस्यों के खिलाफ इस अनुच्छेद में प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करने की रोक लगा दी थी। एनसीएलएटी ने कहा था कि इसका इस्तेमाल सिर्फ अपवाद की स्थिति तथा कंपनी हित में ही किया जा सकता है।

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने 282 पृष्ठ के आदेश में एनसीएलएटी के साइरस मिस्त्री को 100 अरब डॉलर के समूह के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में बहाल करने के आदेश को खारिज कर दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘एनसीएलएटी ने हालांकि माना है कि उसके पास कंपनी के संविधान के किसी अनुच्छेद को अवैध घोषित करने का अधिकार नहीं है।’’

पीठ ने कहा कि एनसीएलएटी ने इस प्रकार का एक मानक तय करने के बाद भी केवल इस संभावना के आधार पर अनुच्छेद 75 को निष्क्रिय बना दिया कि इसका दुरुपयोग हो सकता है।’’

पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम भी थे।

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