नयी दिल्ली, 18 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) की नियंत्रक हिस्सेदारी के वर्ष 2002 में हुए विनिवेश के दौरान कथित अनियमितता के संदर्भ में नियमित मामला दर्ज करने का बृहस्पतिवार को निर्देश दिया।
हालांकि शीर्ष अदालत ने एचजेडएल में सरकार की बची हुई 29.5 प्रतिशत हिस्सेदारी की खुले बाजार में बिक्री की अनुमति दे दी।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न की पीठ ने कहा कि एचजेडएल के विनिवेश में हुई कथित अनियमितता की प्राथमिक जांच को एक नियमित केस के रूप में बदलने को लेकर की गई सिफारिश से अदालत संतुष्ट है और इस मामले में प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
अदालत ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि इस मामले में नियमित केस दर्ज करने के सीबीआई के कई अधिकारियों के सुझाव देने के बावजूद प्राथमिक जांच बंद कर दी गई। पीठ ने सीबीआई को आदेश दिया कि उसे अदालत को समय-समय पर इस मामले में हुई प्रगति से अवगत कराना होगा।
हालांकि पीठ ने केंद्र सरकार को इस उपक्रम में बची हुई अपनी 29.5 फीसदी हिस्सेदारी खुले बाजार में बेचने की अनुमति दे दी। उसने कहा कि वर्ष 2002 में नियंत्रक हिस्सेदारी का विनिवेश होने के बाद एचजेडएल अब सरकारी कंपनी नहीं रह गई है।
वर्ष 2002 में सरकार ने एचजेडएल में अपनी नियंत्रक हिस्सेदारी बेच दी थी।
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