केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2018-19 का बजट पेश किया था। इस बजट में शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड से होने वाले एक लाख रुपये से ज्यादा की कमाई पर 10 प्रतिशत लॉन्ग गेन टैक्स लगा दिया था। इस घोषणा के साथ ही शेयर बाजार में गिरावट देखी जा रही है। मंगलवार (6 फरवरी) को भी सेंसेक्स में 1274 अंक की गिरावट दर्ज की गई। बजट पेश किए जाने के बाद से सेंसेक्स में 2164 अंकों की गिरावट हो चुकी है। इस वक्त शेयर बाजार बजट के बाद सबसे न्यूनतम स्तर (33,482 अंक) पर चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले तीन दिनों से जारी गिरावट से निवेशकों के करीब 9 लाख 60 हजार करोड़ रुपये डूब चुके हैं।
इस बार के बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य भी बढ़ा दिया गया है। इससे भी निवेशकों में निराशा है। पिछले साल सरकार ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 3.2 प्रतिशत रखने का लक्ष्य रखा था जिसे साल 2018 में बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत कर दिया गया है। बजट पेश करने के अगले ही दिन बाजार में इतनी बड़ी गिरावट पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तंज कसा था। उन्होंने ट्वीट किया, 'संसदीय भाषा में सेंसेक्स में 800 अंकों की बड़ी गिरावट मोदी के बजट के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव है।'
1 फरवरी को बजट वाले दिन सेंसेक्स 36048.45 के स्तर पर खुला था जो 6 फरवरी यानि आज कारोबार के दौरान 33482.81 के निचले स्तर पर गिर गया। इस तरह बाजार खुलने के बाद सैंसेक्स अब तक 2565.64 अंक गिर चुका है। वहीं 1 फरवरी को बजट वाले दिन सैंसेक्स 35906.66 अंक पर बंद हुआ था। उस हिसाब से अब तक सैंसेक्स 2423.85 अंक तक गिर चुका है। वहीं निफ्टी में भी चार दिनों में करीब 800 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है।
सोमवार (31 जनवरी) को वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किए जाने के दौरान निवेशकों में उत्साह का माहौल रहा और शेयर बाजार में तेजी रही, क्योंकि इसमें वित्त वर्ष 2018-19 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7-7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। इस दिन सेंसेक्स 232.81 अंकों या 0.65 फीसदी की वृद्धि के साथ 36,283.25 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 60.75 अंकों या 0.55 फीसदी की गिरावट के साथ 11,130.40 पर बंद हुआ था।