नयी दिल्ली 29 मई विषेशज्ञों का मानना है कि हर महीने दाखिल किए जाने वाले जीएसटी रिटर्न में देरी पर शुल्क में राहत से छोटे व्यवसायों को फायदा होगा और सरकारी राजस्व में भी वृद्धि होगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई माल एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद की बैठक में मासिक रिटर्न भरने में देरी पर करदाताओं को राहत देने का निर्णय किया गया है।
जीएसटीआर-3बी दाखिल करने में देरी पर लगाए जाने वाले शुल्क को 500 रुपये प्रति रिटर्न कर दिया गया है। यह सुविधा उन करदाताओं के लिए है, जिन्हें कोई कर नहीं देना हैं। जिन करदाताओं पर कर बतनता है उन्हें इस स्थिति में अधिकतम एक हजार रुपये प्रति रिटर्न के देने होंगे, बशर्ते ऐसे रिटर्न 31 अगस्त, 2021 तक दाखिल किए जाएं।
इसके अलावा परिषद ने दो करोड़ रुपये तक के कारोबार वाले करदाताओं के लिए वित्त वर्ष 2020-21 की वार्षिक रिटर्न को वैकल्पिक कर दिया है। वही पांच करोड़ से अधिक कारोबार वाले करदाताओं को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए फॉर्म जीएसटीआर-9सी में समाधान के लिए एक विवरण दाखिल करने की सुविधा होगी।
इवाय में कर पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर ऐसा कहा जा सकता है कि परिषद ने छोटे उद्योग के हितों पर विचार किया है और उन्हें आवश्यक राहत प्रदान की है, विशेष कर जब से व्यवसाय महामारी के कारण सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।’’
शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड को पार्टनर रजत बोस ने कहा कि अनुपालन संबंधी उपायों में छूट से छोटे और मध्यम करदाताओं को अस्थायी राहत मिलनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘परिषद हालांकि कोविड महामारी के कारण आम लोगों और उद्योग से जुड़े प्रमुख बिंदुओं पर कोई भी निर्णय लेने में पूरी तरह विफल रही है।’’
इसके अलावा टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी पार्टनर विवेक जालान ने कहा कि जीएसटीआर 9 (वार्षिक रिटर्न) दाखिल करना एक करदाता को वित्तीय वर्ष के दौरान की गई किसी भी गलती को सुधारने का आखिरी मौका होता है।
उन्होंने कहा कि इसे बहुत सावधानी से तैयार किया जाना चाहिए। जीएसटी विभाग जीएसटीआर 9 में अपने डाटा विश्लेषण विभाग द्वारा किसी भी विसंगति का पता लगाए जाने पर नोटिस जारी कर सकता है।
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