नई दिल्ली: माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने केंद्र सरकार के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ जारी विवाद को देश की अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी बताया है। उन्होंने विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं के साथ केंद्र के टकराव के पीछे सरकार के हठवादी रवैये को मुख्य वजह बताया।
येचुरी ने सरकार को निशाना बनाते हुए मंगलवार को ट्वीट किया, ''किसी की नहीं सुनी। सिर्फ जुमला कसना और लोगों से झूठे वादे करना नरेंद्र मोदी सरकार का उद्देश्य है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर की राय के खिलाफ नोटबंदी लागू कर अर्थव्यवस्था तहस-नहस कर दी। अब फिर से विनाश की ओर।''
येचुरी ने किसानों की लगातार बढ़ती परेशानी के बारे में कहा, ''किसान मूलभूत राहत और कर्जमाफी के लिए 'बधिर' सरकार के सामने लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमत आसमान छू रही है, लेकिन सरकार की तरफ से कोई राहत नीं। सिर्फ जुमलेबाजी और अपना प्रचार जारी है।''
उन्होंने कहा कि केंद्र की जुमला सरकार की प्राथमिकता अपने धनी मित्रों का 3 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ करना है। येचुरी ने एक अन्य ट्वीट में सरकार की विज्ञापन नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार अपने प्रचार पर 5 हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। यह राशि सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा विज्ञापन पर खर्च की गई राशि से अलग है। वहीं, उसने पिछले चार साल में मजदूरों से सीवर साफ कराने की समस्या के हल पर एक भी पैसा खर्च नहीं किया।
सीताराम येचुरी कम्युनिस्ट पार्टी इंडिया (मार्क्सवादी) (माकपा) के महासचिव हैं। येचुरी अप्रैल 2015 में प्रकाश करात की जगह पार्टी प्रमुख बने थे।