ग्राहकों की मर्जी के बिना उनका मोबाइल नंबर नहीं लें दुकानदार, बढ़ती शिकायतों के बीच उपभोक्ता मामलों के सचिव ने उद्योग मंडलों को पत्र लिखा, जानें क्या है मामला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 31, 2023 05:33 PM2023-05-31T17:33:29+5:302023-05-31T17:34:47+5:30
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), फिक्की, एसोचैम, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) से खुदरा सामान बेचने वाले दुकानदारों को ग्राहकों से वस्तुओं की बिक्री के समय मोबाइल नंबर उनकी मर्जी के बिना नहीं लेने की सलाह देने को कहा है।
नई दिल्लीः उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने प्रमुख उद्योग मंडलों को पत्र लिखकर खुदरा कंपनियों को वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री के समय ग्राहकों से बिना उनकी सहमति के मोबाइल नंबर नहीं लेने की सलाह देने को कहा है। इस बारे में बढ़ती शिकायतों के बीच यह कदम उठाया गया है।
सचिव ने हाल ही में उद्योग मंडलों भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), फिक्की, एसोचैम, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) से खुदरा सामान बेचने वाले दुकानदारों को ग्राहकों से वस्तुओं की बिक्री के समय मोबाइल नंबर उनकी मर्जी के बिना नहीं लेने की सलाह देने को कहा है।
सिंह ने 26 मई को लिखे पत्र में कहा, ‘‘मेरा आपसे आग्रह है कि आप खुदरा विक्रेताओं को उचित सलाह दें कि किसी भी सामान या सेवाओं की बिक्री के समय उपभोक्ताओं की सहमति के बिना उनका मोबाइल नंबर नहीं लिया जाना चाहिए। इसे बिक्री के लिये अनिवार्य शर्त नहीं बनाया जाना चाहिए।’’
सचिव ने कहा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) पर इस बारे में कई शिकायतें दर्ज की गयी हैं कि खुदरा दुकानदार उपभोक्ताओं को सामान खरीदने से पहले अपना मोबाइल नंबर देने के लिये मजबूर कर रहे हैं। पत्र में उन्होंने लिखा है कि मोबाइल नंबर नहीं देने की स्थिति में उपभोक्ताओं को कई मामलों में खुदरा विक्रेताओं द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत उनके अधिकारों से वंचित किया गया। उन्होंने या तो उत्पाद या सेवा बेचने से इनकार कर दिया अथवा पैसा वापस करने या सामान बदलने से मना किया।
सचिव ने कहा, ‘‘मोबाइल नंबर देने को अनिवार्य आवश्यकता बनाने से उपभोक्ताओं को प्राय: अपनी व्यक्तिगत जानकारी अपनी इच्छा के खिलाफ साझा करने के लिये मजबूर किया जाता है। इसके बाद उपभोक्ताओं के पास बड़ी संख्या में खुदरा विक्रेताओं से विपणन और प्रचार संदेश आने लगते हैं।’’ उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मामलों के विभाग ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है। सिंह ने इन उद्योग मंडलों से मामले में सहयोग करने और खुदरा विक्रेताओं को जरूरी परामर्श जारी करने को कहा है।