देश के कृषि क्षेत्र को किसी भी तरीके से प्रभावित नहीं करेगी महामारी की दूसरी लहर : नीति आयोग

By भाषा | Published: June 6, 2021 04:20 PM2021-06-06T16:20:45+5:302021-06-06T16:20:45+5:30

Second wave of epidemic will not affect the country's agriculture sector in any way: NITI Aayog | देश के कृषि क्षेत्र को किसी भी तरीके से प्रभावित नहीं करेगी महामारी की दूसरी लहर : नीति आयोग

देश के कृषि क्षेत्र को किसी भी तरीके से प्रभावित नहीं करेगी महामारी की दूसरी लहर : नीति आयोग

(बिजय कुमार सिंह)

नयी दिल्ली, छह जून नीति आयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद का मानना है कि कोविड-19 की दूसरी लहर से देश के कृषि क्षेत्र पर किसी तरह का कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में संक्रमण मई में फैला है, उस समय कृषि से संबंधित गतिविधियां बहुत कम होती हैं।

चंद ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा कि अभी सब्सिडी, मूल्य और प्रौद्योगिकी पर भारत की नीति बहुत ज्यादा चावल, गेहूं और गन्ने के पक्ष में झुकी हुई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश में खरीद और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नीतियों को दलहनों के पक्ष में बनाया जाना चाहिए।

नीति आयोग के सदस्य ने कहा, ‘‘ग्रामीण इलाकों में कोविड-19 संक्रमण मई में फैलना शुरू हुआ था। मई में कृषि गतिविधियां काफी सीमित रहती हैं। विशेष रूप से कृषि जमीन से जुड़ी गतिविधियां।’’

उन्होंने कहा कि मई में किसी फसल की बुवाई और कटाई नहीं होती। सिर्फ कुछ सब्जियों तथा ‘ऑफ सीजन‘ फसलों की खेती होती है।

चंद ने कहा कि मार्च के महीने या अप्रैल के मध्य तक कृषि गतिविधियां चरम पर होती हैं। उसके बाद इनमें कमी आती है। मानसून के आगमन के साथ ये गतिविधियां फिर जोर पकड़ती हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसे में यदि मई से जून के मध्य तक श्रमिकों की उपलब्धता कम भी रहती है, तो इससे कृषि क्षेत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला।

चंद ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में कोविड-19 के मामले बढ़ने की वजह से श्रमिक अब ग्रामीण इलाकों का रुख कर रहे हैं। ये श्रमिक आजीविका के लिए कृषि क्षेत्र में काम करने को तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि उत्पादन की दृष्टि से देखा जाए, तो आप कृषि बाजार के आंकड़ों को देखें। सभी जगह कृषि बाजार सामान्य तरीके से काम कर रहा है। नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि कृषि क्षेत्र से आमदनी कायम है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह आय का प्रमुख जरिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहूंगा कि सरकार मनरेगा पर ध्यान केंद्रित रखे।’’

हालांकि, चंद ने इस बात को स्वीकार किया कि शहरी क्षेत्रों से अब गांवों को लोग कम पैसा भेज पा रहे हैं। इससे निश्चित रूप से ग्रामीण मांग में गिरावट आएगी।

यह पूछे जाने पर कि भारत अभी तक दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर क्यों नहीं बन पाया है, चंद ने कहा कि सिंचाई के तहत दलहन क्षेत्र बढ़ाने की जरूरत है। इससे उत्पादन और मूल्य स्थिरता के मोर्चे पर काफी बदलाव आएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में हमारी सब्सिडी नीति, मूल्य नीति और प्रौद्योगिकी नीति बहुत ज्यादा चावल और गेहूं तथा गन्ने के पक्ष में झुकी हुई है। ऐसे में मेरा मानना है कि हमें अपनी खरीद तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नीति को दलहनों के अनुकूल बनाने की जरूरत है।’’

चंद ने कहा कि दालों का आयात देश के बाहर से खाद्य तेलों की तरह बड़ी मात्रा में नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में दालें कम मात्रा में उपलब्ध होती हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार खाद्य तेलों पर आयात शुल्क घटाने पर विचार कर रही है, चंद ने कहा कि खाद्य तेलों के दाम बढ़ने की प्रमुख वजह यह है कि इसकी अंतरराष्ट्रीय कीमतें ऊंची हैं। ऐसा नहीं है कि भारत में उत्पादन कम है।

उन्होंने कहा कि यदि खाद्य तेलों के दाम नीचे नहीं आते हैं, तो सरकार के पास इनके नियंत्रण का उपाय है। यह उपाय आयात पर शुल्क दर में कटौती है।

कृषि क्षेत्र की वृद्धि के बारे में चंद ने कहा कि 2021-22 में क्षेत्र की वृद्धि दर तीन प्रतिशत से अधिक रहेगी। बीते वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.6 प्रतिशत रही थी। वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी।

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Web Title: Second wave of epidemic will not affect the country's agriculture sector in any way: NITI Aayog

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