एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा, मौत के आंकड़ें में कमी कोई अनोखी बात नहीं

By भाषा | Updated: June 30, 2021 17:38 IST2021-06-30T17:38:58+5:302021-06-30T17:38:58+5:30

SBI economists said, the decrease in the death toll is not a unique thing | एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा, मौत के आंकड़ें में कमी कोई अनोखी बात नहीं

एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा, मौत के आंकड़ें में कमी कोई अनोखी बात नहीं

मुंबई, 30 जून कोविड19 से हुई मौतों की सरकारी सूचनाओं पर जारी बहस के बीच भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने अपनी एक एक ताजा शोधपरक रपट में बुधवार को कहा कि भारत में मौतों के आंकड़ों में कमी कोई नयी बात नहीं नहीं है।

उन्होंने कहा कि कम रिपोर्टिंग के प्रमुख कारणों में एक यह है कि कई मौतें बिना किसी चिकित्सकीय निगरानी के होती हैं और इस हालात में बदलाव के लिए स्वास्थ्य सवाओं के बुनियादी ढांचे में सुधार जरूरी है।

एसबीआई की यह रिपोर्ट ऐसे वक्त में आई है, जब देश में कोविड-19 महामारी से हुई मौत के आंकड़ों को कम करके बताने को लेकर बहस चल रही है। खासतौर से गंगा नदी में शवों को देखे जाने के बाद इस आशंका को बल मिला है।

कुछ अनुमानों के मुताबिक वास्तविक आंकड़ा बताए गए आंकड़े के मुकाबले 10 गुना अधिक हो सकता है।

एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने रिपोर्ट मे कहा, ‘‘यह भी काफी हद तक संभव है कि कोई जांच ही न हुई हो, और भारत में बीमारी तथा मौत के सरकारी आंकड़ों में कमी होना कोई नहीं घटना नहीं है। यह नागरिक पंजीकरण के जरिए भारत में कोविड से हुई मौतों के बारे में पता लगाने को लेकर जारी हालिया बहस के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।’’

रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ बेहतर चिकित्सा व्यवस्था से भारत में बीमारी की उचित जानकारी रखी जा सकती है और जीवन की रक्षा हो सकती है। इसके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाना और स्वास्थ्य पेशेवरों की संख्या में बढ़ोतरी जरूरी है।

रिपोर्ट में कहा गया कि ‘‘ऐसा साफतौर पर लगता है’’ कि भारत जैसे निम्न आय वाले देशों में कोविड-19 की तबाही (जितनी बतायी गयी है उससे) ‘‘अधिक भयावह होनी चाहिए।’’

जन्म और मृत्यु पंजीकरण के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार ने 1969 में एक कानून के जरिए दोनों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया था। लेकिन बिहार , उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में मृत्यु पंजीकरण आज भी 75 प्रतिशत से नीचे है।

रपट में यह भी कहा गया है कि 2019 में देश में कुल जन्म में एक तिहाई केवल उत्तर प्रदेश और बिहार में पंजीकृत किए गए थे जबक एक तिहाई मौतें उत्तर प्रदेश , हमाराष्ट्र और तमिलनाडु में पंजीकृत थी। रपट में कहा गया है कि जन्म और मृत्यु में इस तरह की असंगति आने वाले वर्षों में इन राज्यों के जननांकीय स्वरूप के लिए ठीक नहीं है।

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Web Title: SBI economists said, the decrease in the death toll is not a unique thing

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