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सड़क मंत्रालय राजमार्गों पर वन्यजीवों की सुरक्षित आवाजाही के लिये 1,200 करोड़ रुपये खर्च करेगा

By भाषा | Updated: January 8, 2021 00:02 IST

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मुंबई, सात जनवरी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनका मंत्रालय हरित क्षेत्रों से गुजरने वाले राजमार्गों में वन्यजीवों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिये गलियारा बनाने पर 1,200 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर रहा है।

एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे मंत्री ने यह भी कहा कि 15,000 करोड़ रुपये तक खर्च कर मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेसवे को देश के सबसे बड़े कंटेनर बंदरगाह जेएनपीटी तक बढ़ाया जाएगा।

वन्वजीवों पर राजमार्गों के प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की जाती रही है। बार-बार वैश्विक अनुभवों से सीख लेते हुए इस दिशा में कदम उठाने की मांग की जा रही थी जहां वन्यजीवों की सुरक्षित आवाजाही के लिये अलग से गलियारे बनाये गये हैं।

गडकरी ने कहा कि कुल राशि में से 1,100 करोड़ रुपये का खर्च नागपुर-जबलुर राष्ट्रीय राजमर्ग पर ‘अंडरपास’ बनाने में किया जाएगा। यह राजमार्ग पेंच राष्ट्रीय उद्यान से गुजरता है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि इसके अलावा गढ़चिरौली-चंद्रपुर और चिमुर-वडोडरा समेत चार राजमार्गों पर जानवरों के आने-जाने के लिये 170 करोड़ रुपये व्यय किये जाएंगे।

गडकरी ने कहा, ‘‘हम केवल सड़के नहीं बना रहे। हम पेड़-पौधा भी लगाना चाहते हैं और वन्यजीवों की सुरक्षित आवाजाही के लिये ढांचागत सुविधा भी तैयार करना चाहते हैं।’’

मुंबई- दिल्ली एक्सप्रेसवे के विस्तार पर गडकरी ने कहा कि इसकी जरूरत इसलिये महसूस की गई कि इसके बिना वाहनों से वित्तीय राजधानी में यातायात बाधित होगा। एक्सप्रेसवे को एक विशेष सड़क के जरिये पनवेल के नजदीक कंटेनर पोर्ट से जोड़ा जायेगा। इस पर 12,000 से 15,000 करोड़ रुपये तक खर्च आयेगा।

केंद्रीय मंत्री ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। बैठक के दौरान उन्होंने इस राजमार्ग निर्माण की बढ़ी हुई लागत में आधे का योगदान करने को कहा।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया लेकिन सड़क निर्माण में उपयोग होने वाले इस्पात और सीमेंट पर जीएसटी (माल एवं सेवा कर) से छूट देने पर सहमति जतायी। साथ ही रॉयल्टी मामले में राहत देने की बात कही। इस राशि को राज्य की तरफ से महत्वकांक्षी परियोजना में इक्विटी योगदान के रूप में विचार किया जाएगा।

मंत्री ने कहा कि परियोजना का 40 प्रतिशत काम पहले ही पूरा हो चुका है और डेढ़ साल में इसके पूरा होने भरोसा जताया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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