नयी दिल्ली, 29 सितंबर अरबपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने बुधवार को कंपनी के बोर्ड में सऊदी अरामको के चेयरमैन यासिर अल-रुमायन की नियुक्ति का बचाव करते हुए कहा कि एक स्वतंत्र निदेशक के रूप में उनकी नियुक्ति के लिए सभी नियामकीय मानदंड पूरे किए गए हैं। शेयरधारकों द्वारा इस नियुक्ति को मंजूरी दिया जाना बाकी है।
रिलायंस के एक शेयरधारक कैलिफोर्निया स्टेट टीचर्स रिटायरमेंट सिस्टम ने पिछले हफ्ते अमेरिकी प्रॉक्सी सलाहकार अनुसंधान कंपनी ग्लास लुईस की सिफारिश के आधार पर इस कदम के खिलाफ मतदान करने का फैसला किया था।
अल-रुमायन की तीन साल की अवधि के लिए नियुक्ति की पुष्टि करने के लिए मतदान 19 अक्टूबर को पूरा होगा।
रिलायंस ने शेयर बाजार को दी गया एक सूचना में कहा कि नियुक्ति से "बोर्ड की विविधता और कौशलों को मजबूत करने में मदद मिलेगी और तेल से रसायनों की ओर बढ़ने के सफर और 2035 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लक्ष्य में रिलायंस को इससे मदद मिलेगी।"
कंपनी के बोर्ड ने मानव संसाधन, नामांकन और पारिश्रमिक (एचआरएनआर) समिति की सिफारिश के आधार पर और कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार नियुक्ति की थी तथा जून में शेयरधारकों की वार्षिक बैठक में इसकी घोषणा की गयी थी।
नियुक्ति तीन साल की अवधि के लिए 19 जुलाई, 2021 से प्रभावी हुई है।
रिलायंस ने कहा, "कानून (भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013) और भारतीय प्रतिभूति नियामक सेबी द्वारा निर्धारित नियम, आरआईएल जैसी सूचीबद्ध कंपनी के स्वतंत्र निदेशकों के रूप में नियुक्ति के लिए स्वतंत्रता संबंधी कड़े मानदंड निर्धारित करते हैं। यासिर अल रुमायन विनियमों में निर्धारित हर एक मानदंड को पूरा करते हैं।"
कैलिफोर्निया स्टेट टीचर्स रिटायरमेंट सिस्टम ने सऊदी अरब के पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (पीआईएफ) में अल-रुमायन के पद की वजह से बोर्ड में उनकी नियुक्ति का विरोध करने का फैसला किया है। अल-रुमायन पीआएफ के गवर्नर हैं।
पीआईएफ पहले ही रिलायंस रिटेल में 9,555 करोड़ रुपये और आरआईएल के जियो प्लेटफॉर्म्स में 11,367 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी है। साथ ही, अरामको रिलायंस के तेल एवं रसायन कारोबार में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए बातचीत कर रही है।
कंपनी ने कहा, "यासिर अल रुमायन की नियुक्ति का सऊदी अरामको के साथ विचाराधीन लेनदेन से कोई संबंध नहीं है।
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