RBI रिपोर्ट में खुलासाः पिछले छह साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंचा उपभोक्ताओं का भरोसा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 6, 2019 11:10 AM2019-10-06T11:10:27+5:302019-10-06T11:10:27+5:30
सितंबर महीने में करेंट सिचुएशन इंडेक्स 89.4 पहुंच गया जो पिछले छह सालों में सबसे नीचे है। इससे पहले साल 2013 के सितंबर में यह 88 पर पहुंचा था।
मोदी सरकार में उपभोक्ताओं का भरोसा कम हो गया है। शुक्रवार को आरबीआई की मोद्रिक नीति की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2019 में उपभोक्ताओं का भरोसा सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। सितंबर महीने में करेंट सिचुएशन इंडेक्स 89.4 पहुंच गया जो पिछले छह सालों में सबसे नीचे है। इससे पहले साल 2013 के सितंबर में यह 88 पर पहुंचा था।
केन्द्रीय बैंक ने मौदिक नीति समीक्षा के बाद जारी वक्तव्य में रेपो दर में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के मामले में भी अपनी नाराजगी जाहिर की है। रिजर्व बैंक ने कहा कि रेपो दर में पिछली चार बार में की गई 1.10 प्रतिशत कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के मामले में आधा- अधूरा काम ही हुआ है। आरबीआई ने कहा है कि फरवरी से अगस्त 2019 की अवधि में 1.10 प्रतिशत कटौती की गई जबकि इसके मुकाबले बैंकों के नया रिण की औसत रिण दर में मात्र 0.29 प्रतिशत कमी आई है। हालांकि, इस दौरान बकाया रिण की दर में 0.07 प्रतिशत वृद्धि हुई।
अमेरिका- चीन के बीच जारी व्यापार तनाव के चलते दुनियाभर में केन्द्रीय बैंक अपनी मौद्रिक नीतियों को नरम कर रहे हैं। वैश्विक आर्थिक सुस्ती का मुकाबला करने के लिये यह कदम उठाये जा रहे हैं। रिजर्व बैंक के ताजा कदम से पहले सरकार ने भी अपने स्तर पर कई उपाय किये हैं। कंपनियों के लिये कर में बड़ी कटौती की गई है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिये बढ़े हुये अधिभार को वापस ले लिया गया जबकि विनिर्माण क्षेत्र में आने वाली नई कंपनियों के लिये कंपनी कर की दर को 15 प्रतिशत कर दिया गया। कुल मिलाकर सरकार ने करों में कटौती के रूप में 1.45 लाख करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का अनुमान लगाया है। राजस्व के भारी नुकसान को देखते हुये राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत के लक्ष्य से आगे निकलने के सवाल पर रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि सरकार ने कहा है कि वह राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को बनाये रखेगी।
समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा से इनपुट्स लेकर