आरबीआई गवर्नर ने बताई ब्याज दर में बढ़ोत्तरी की वजह, 'मुद्रा युद्ध' की शक्ल ले रहा है वैश्विक व्यापार युद्ध
By भाषा | Published: August 2, 2018 04:51 AM2018-08-02T04:51:48+5:302018-08-02T04:51:48+5:30
मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के दायरे में बनाए रखने के लिए बढ़ायी रेपो दर: उर्जित पटेल
मुंबई, 2 अगस्तः भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने आज कहा कि लगातार दूसरी बार नीतिगत ब्याज दर में 0.25% की बढ़ोत्तरी असल में मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के तय दायरे में बनाए रखने की केंद्रीय बैंक की नीति के अनुरूप उठाया गया कदम है। इस लक्ष्य से विमुख होने से बचने के लिए ही ब्याज दर में यह बढ़ोत्तरी की गई है। पटेल ने कई ऐसे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारकों की बात की जिससे मुद्रास्फीति के बढ़ने का अंदेशा है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर संभावित व्यापार युद्ध अब धीरे-धीरे ‘मुद्रा युद्ध’ की शक्ल लेता जा रहा है, इसके अलावा असमान वैश्विक वृद्धि और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से मुद्रास्फीति बढ़ने की संभावना है। ऐसे में केंद्रीय बैंक ने लघु अवधि में नीतिगत दर या रेपो दर को बढ़ाया है। यह अब 6.5% हो गई है।
उल्लेखीय है कि 28 जनवरी 2014 को जब रेपो दर में बदलाव किया गया था तो यह आठ प्रतिशत तक पहुंच गई थी। उसके बाद इसे लगातार घटाया गया। तब से इसी साल छह जून को एक लंबी अवधि के बाद इसे छह प्रतिशत से बढ़ाकर 6.25% किया गया। आज इसमें लगातार दूसरी बार 0.25% की बढ़ोत्तरी की गई जिससे यह 6.5% हो गई।
पांच पन्नों के नीतिगत समीक्षा दस्तावेज में कहा गया है कि जो भी चुनौतियां गिनाई गईं हैं वह फिलहाल संतुलित दायरे में हैं और यहां तक कि 2018-19 की पहली छमाही के मुद्रास्फीति अनुमान को मामूली रूप से कम किया गया है।
पटेल ने कहा कि कई महीनों से प्रमुख मुद्रास्फीति चार प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है और ऐसे में यह उचित समय है जब टिकाउ आधार पर मुद्रास्फीति के मामले में संसद द्वारा तय किये गये लक्ष्य को हासिल किया जाये। यही वजह है कि जून और अगस्त में दो कदम उठाये गये हैं। इससे इसकी ज्यादा संभावना होगी कि ‘‘हम चार प्रतिशत के तय लक्ष्य से दूर नहीं पहुंच जायें और वास्तव में हमें चार प्रतिशत की तरफ टिकाउ आधार पर बढ़ना है।’’
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