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विवाद से विश्वास योजना के तहत घोषणा करने वालों को आवेदन में संशोधन की अनुमति दी

By भाषा | Updated: December 6, 2020 16:02 IST

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नयी दिल्ली, छह दिसंबर कर विभाग ने कहा है कि प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना विवाद से विश्वास के तहत घोषणा करने वाले तबतक इसमे संशोधन कर सकते हैं जबतक संबंधित प्राधिकरण कर बकाया और भुगतान योग्य राशि के बारे में प्रमाणपत्र जारी नहीं कर देते।

विवाद से विश्वास पर बार-बार पूछे जाने वाले सवाल (एफएक्यू) की श्रेणी में कुछ और एफएक्यू जारी करते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने यह भी कहा कि योजना का लाभ उस मामले में नहीं लिया जा सकता है जहां आयकर निपटान आयोग (आईटीएससी) के समक्ष कार्यवाही लंबित है या फिर आईटीएससी के आदेश के खिलाफ रिट याचिका दायर की गयी है।

सीबीडीटी ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन मामलों में द्विपक्षीय समझौता प्रक्रिया (एमएपी) समाधान लंबित है या करदाता ने एमएपी निर्णय को स्वीकार नहीं किया है, संबंधित अपील विवाद से विश्वास के अंतर्गत पात्र होंगी। ऐसे मामलों में ब्योर देने वाले को एमपीपी आवेदन और अपील दोनों वापस लेने होंगे।

आयकर विभाग ने यह भी साफ किया है कि करदाता उन मामलों में घोषणा करने के लिये पात्र होंगे जहां एडवांस रूलिंग प्राधिकरण (एएआर) ने करदाताओं के पक्ष में फैसला सुनाया है और विभाग ने उच्च न्यायालय/उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की है तथा करदाता की कुल आय का निर्धारण एएआर के समक्ष हो गया है।

सरकार ने कोविड-19 महामारी को देखते हुए अक्टूबर में तीसरी बार विवाद से विश्वास योजना के तहत भुगतान की समयसीमा तीन महीने 31 मार्च, 2021 तक के लिये बढ़ायी है। हालांकि योजना का लाभ लेने वालों को घोषणा 31 दिसंबर, 2020 तक जमा करनी होगी।

नांगिया एंडरसन एलएलपी भागीदारी संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि संशोधन के प्रावधान से करदाता वैसे मामले में आवेदन को संशोधित कर सकेंगे जहां कुछ खामियां हैं या तथ्यात्मक स्पष्टीकरण के कारण मामले पर फिर से विचार किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘प्राधिकरण यह सुनश्चित कर रहे हैं कि योजना का लाभ ज्यादा-से-ज्यादा करदाता लें। चूंकि योजना नई है, ऐसे में प्रमाणपत्र जारी होने से पहले समीक्षा की अनुमति से आवेदनकर्ता वैसे मामलों में आवेदन में संशोधन कर सकेंगे जहां खामियां पायी गयी हैं या प्राधिकरण से कोई स्पष्टीमरण मिला है।

सरकार ने 1 7 नवंबर तक इस योजना के तहत 72,480 करोड़ रुपये प्राप्त किये हैं।

कुल 45,855 करदाताओं ने योजना के तहत जानकारी दी। इन मामलों में 17 नवंबर तक 31,734 करोड़ रुपये की कर मांग विवाद में फंसी थी।

इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां भी योजना के तहत कुल एक लाख करोड़ रुपये के विवाद का निपटान कर रही हैं।

इस योजना के तहत आकलन या पुन:आकलन के संदर्भ में करदाताओं को विवादित कर, विवादित ब्याज, जुर्माना या विवादित शुल्क के निपटान की अनुमति दी गयी है। इसके अंतर्गत विवादित कर राशि का 100 प्रतिशत तथा विवादित जुर्माना या ब्याज अथवा शुल्क का 25 प्रतिशत देकर विवाद का निपटान किया जा सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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