Onion Price: बारिश ने बिगाड़ा रसोई बजट, टमाटर के बाद प्याज की बारी!, हरी सब्जियां 100 के पार, आखिर बढ़ती कीमत की क्या है वजह?
By सतीश कुमार सिंह | Published: August 5, 2023 02:07 PM2023-08-05T14:07:37+5:302023-08-05T14:09:29+5:30
Onion Prices: तंग आपूर्ति के कारण प्याज की कीमत इस माह के अंत में खुदरा बाजार में बढ़ने की आशंका है और अगले महीने यह लगभग 60-70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकती है।
Onion Prices: बरसात में हरी सब्जियों ने बुरा हाल कर दिया है। टमाटर के बाद प्याज भी सितंबर में रिकॉर्ड तोड़ सकता है। खुदरा बाजार में एक माह के बाद 60-70 रुपये किलो की उम्मीद है। इस मौसम में सभी सब्जियां आसमान छू रही हैं। कोई भी सब्जी 100 रुपये प्रति किलो बिक रही है।
टमाटर और मसालों की कीमतें आसमान छू रही हैं। रसोई का एक अन्य प्रमुख खाद्य पदार्थ प्याज भी भारतीय परिवारों की जेब पर बोझ डालने के लिए तैयार है। खरीफ सीजन में कम बुआई और भंडारण संबंधी मुद्दों के कारण सितंबर में कीमतें 60-70 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंचने का अनुमान है।
टमाटर की कीमतें बढ़ने पर पंजाब के राज्यपाल ने राजभवन में इसकी खपत रोकने का आदेश दिया है। टमाटर की कीमतों में महीने भर से जारी तेजी के बीच थोक व्यापारियों ने आने वाले दिनों में इस सब्जी के भाव 300 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाने की आशंका जताई है। थोक कारोबारियों ने आवक कम होने से टमाटर के थोक दाम बढ़ने की बात कही है।
रिपोर्ट में यह कहा गया। क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘मांग-आपूर्ति में असंतुलन का असर अगस्त के अंत में प्याज की कीमतों पर दिखने की आशंका है। जमीनी स्तर पर बातचीत से जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार खुदरा बाजार में सितंबर की शुरुआत से कीमतों में अच्छी-खासी वृद्धि होने की आशंका है और यह 60-70 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है।
हालांकि, कीमत 2020 के उच्चतम स्तर से नीचे रहेगी।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि रबी प्याज के भंडारण और उपयोग की अवधि एक-दो महीने कम होने और इस साल फरवरी-मार्च में घबराहट के कारण बिकवाली से, खुले बाजार में रबी स्टॉक में सितंबर के बजाय अगस्त के अंत तक काफी गिरावट आने की आशंका है। इससे प्याज की खपत में बढ़ोतरी होगी...।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर से खरीफ की आवक शुरू होने पर प्याज की आपूर्ति बेहतर होगी, जिससे कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि त्योहारी महीनों (अक्टूबर-दिसंबर) में कीमतों में उतार-चढ़ाव दूर होने की उम्मीद है। इस साल जनवरी-मई के दौरान प्याज की कीमतों में गिरावट से उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिली।
हालांकि, इससे प्याज किसान खरीफ मौसम में बुवाई के लिये हतोत्साहित हुए। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इसको देखते हुए, हमारा मानना है कि इस साल रकबा आठ प्रतिशत घटेगा और प्याज का खरीफ उत्पादन सालाना आधार पर पांच प्रतिशत कम होगा।
वार्षिक उत्पादन 2.9 करोड़ टन होने की उम्मीद है। यह पिछले पांच साल (2018-22) के औसत उत्पादन से सात प्रतिशत अधिक है।’’ इसलिए, कम खरीफ और रबी उत्पादन के बावजूद इस वर्ष आपूर्ति में बड़ी कमी की संभावना नहीं है। हालांकि, अगस्त और सितंबर में बारिश प्याज की फसल और उसके विकास को निर्धारित करेगी।
(इनपुट एजेंसी)